उत्तराखंड। द्वारीखाल (पौड़ी)। बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं एवं बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से राजकीय इंटर कॉलेज चाक्यूसैण में 4 मार्च से 8 मार्च तक आयोजित 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. सुरेंद्र सिंह नेगी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारीखाल ने कहा कि विज्ञान बहुत रोचक विषय है। हम इसे समझकर पढ़ेंगे तो हमें बहुत ही आनंद आएगा। विज्ञान क्यों, कैसे, क्या जैसे सवाल पूछने व तर्क-वितर्क करने के लिए हमें उद्वेलित करता है। उन्होंने कहा कि हम सुबह से शाम तक अपने घर में विज्ञान के कई प्रयोग करते हैं। हमारा किचन किसी प्रयोग शाला से कम नही है। दूध से मक्खन बनाने, सब्जियों को संरक्षित करने, कंपोस्ट खाद बनाने, कृषि में नए-नए प्रयोग आदि हमारे लोक विज्ञान के अंग हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने तथा उन्हें कक्षा में क्या क्यों तथा कैसे आदि सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राजकीय इंटर कालेज चाक्यूसैण के प्रधानाचार्य श्री जगमोहन सिंह बिष्ट ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में कई अंधविश्वास व्याप्त हैं। हम बगैर सोचे समझे कई निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में आज भी भूत व चुड़ैल के नाम पर लोग निराश होकर काफी पैसा बर्बाद करते हैं। उन्होंने कहा जब हम किसी की कही व सुनी बातों पर बगैर सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं तो इसे अंधविश्वास कहा जाता है। जब हम क्या, क्यों, कैसे, कहां आदि तर्क-वितर्क करके अपने बात पर मनन करते हैं तो इसे वैज्ञानिक सोच या वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरुरत है।
कार्यशाला की रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव व बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने कहा कि बालप्रहरी/बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा अभी तक भारत के 16 राज्यों में 312 स्थानों पर पांच दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि यू कास्ट के सहयोग से आयोजित 5 दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को लोक विज्ञान से परिचित कराते हुए उन्हें विषय पर मौखिक व लिखित अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित किया जाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उनके अनुसार कार्यशाला में प्रत्येक बच्चे की एक हस्तलिखित पुस्तक तैयार की जाएगी। कार्यशाला में बाल कवि सम्मेलन, समूह गीत तथा नुक्कड़ नाटक आदि विधाओं से बच्चों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने ‘एक आदमी की कहानी’ के माध्यम से बच्चों को विज्ञान की अवधारणा से अवगत कराया।
भारत ज्ञान विज्ञान समिति के पौड़ी जिला संयोजक एवं राजकीय इंटर कालेज किनसुर के विज्ञान शिक्षक महेंद्र सिंह राणा ने बच्चों को कविता के माध्यम से विज्ञान की अवधारणा बताई। उन्होंने कहा कि कविता कोई सिखाने की विधा नहीं है। हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता हैं। उन्होंने कहा कि हमें कविता व कहानी लिखने से पहले अपने पाठ्य पुस्तक व दूसरे लेखकों की कविताओं व कहानियांं को पढ़ना भी जरूरी है। कविता सत्र में पहले बच्चों ने अपने पाठ्य पुस्तक की कविताएं सुनाई। उसके बाद बच्चों से पूछा गया कि इन्हें कविता क्यों कहा जाता है। बच्चों ने अपनी भाषा में बताया कि कविता में तुक, लय, भाव तथा शीर्षक आदि का होना चाहिए । उसके बाद बच्चों ने समूह में कविता तैयार की। दिए हुए शब्दों के आधार पर कविता तैयार की। बच्चों ने पेड़, कंप्यूटर, मोबाइल, सूरज, पर्यावरण, बादल, स्वच्छता अभियान व विज्ञान आदि विषय पर कविताएं तैयार की।
कार्यशाला की शुरुआत ‘ज्ञान का दीया जलाने’ समूह गीत से हुई। आज अध्यक्ष मंडल में हनी, दिव्या, पावनी, मानसी, दिव्यांशु को शामिल किया गया। आज संपन्न नाम लेखन प्रतियोगिता, शब्द लेखन प्रतियोगिता, पहाड़ा लिखो प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता में जीविका, अनुष्का, पावनी, मानसी, साक्षी व उज्जवल को पुरस्कार में बालसाहित्य दिया गया। आज बच्चों ने तोता कहता है, जैसा में कहूं, नेताजी की खोज, कितने भाई कितने, कितना बड़ा पहाड़, पिज्जा हट व कानाफूसी आदि खेलों में खूब मस्ती की। सर्वश्री उदय किरौला, महेंद्र सिंह राणा, सुरेंद्र सिंह रावत, जय रतन नेगी, मीना कुकरेती, सुनीता बडोला, राकेश तिवाड़ी, आबिद अहमद, व विवेक डबराल आदि ने संदर्भदाता बतौर बच्चों का मार्गदर्शन किया।
खंड शिक्षा अधिकारी डॉ. नेगी ने महेंद्र सिंह राणा द्वारा संपादित दीवार पत्रिका ‘चाक्यूसैण दर्पण’ व सुरेंद्र सिंह रावत द्वारा संपादित दीवार पत्रिका ‘बाल संसार’ का लोकार्पण किया गया। बच्चों ने औरेगैमी के तहत अखबार से बने मुकुट मुख्य अतिथि व शिक्षको को पहनाए। उससे पहले उदय किरौला ने औरेगैमी के तहत अखबार के मोड़ से बच्चों को सरल भाषा में रेखागणित को समझाया। उन्होंने कहा कि ‘औरेगैमी’ जापानी भाषा का शब्द है जिसका आशय अखबार के मोड़ से रेखागणित को समझना है। सभी बच्चों ने अखबार से मुकुट बनाए। अखबार के मुकुट पहनकर बच्चे खुश नजर आए।