@. पहाड़ का दर्द:
★. पहाड़ के गांवों की दुश्वारियां : जहां डोली है एंबुलेंस और जिंदगी भगवान के भरोसे
★. ओखलकांडा गर्भवती महिला को 5 किमी. पैदल डोली से और निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) ”स्टार खबर”
ओखलकांडा/भीमताल
पहाड़ का जीवन आज भी पहाड़ जैसी चुनौतियों से भरा है। उत्तराखंड गठन के बाद सरकारें बदलीं। मुखिया बदले। मगर नहीं बदली तो दूर गांवों की तस्वीर व तकदीर। सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में कई गांव हैं जो विकास के दावों की पोल खोल रहे हैं । पहाड़ की तलहटी में बसे इन गांव के लोगों को सड़क तक आने के लिए कई किमी तक पथरीले, संकरे और खतरनाक रास्तों को पैदल पार करना पड़ता है। ग्रामीण मरीजों को डोली में लेकर अस्पताल आते हैं। ऐसे में अक्सर गंभीर रूप से बीमार मरीजों की समय से इलाज ने मिलने के कारण जान चली जाती है । यही हाल नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक भीमताल विधानसभा के दूरस्थ क्षेत्र न्याय पंचायत सुनकोट (सिरखोला)के लोग सड़क न होने का खामियाजा लोग आए दिन भुगत रहे हैं। सड़क न होने के कारण सिरखोला के ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को आपदा में ध्वस्त पैदल रास्तों से डोली के सहारे 5 किमी पैदल चलकर कचलाकोट सड़क तक पहुंचाया इसके बाद ग्रामीणों ने निजी वाहन से 50 किलोमीटर दूर चंपावत के पाटी ब्लॉक ले गए। यहां महिला का सुरक्षित प्रसव हो गया है। वही रात करीब 3:00 बजे विजय बोरा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और जच्चा बच्चा स्वस्थ हैं । जिले के दूरस्थ क्षेत्र में बुनियादी सुविधा, रास्ते, सड़क और बादल स्वास्थ्य व्यवस्था के न होने से परेशान हैं। सिरखोला निवासी विजय सिंह बोरा पत्नी रेखा देवी 25 वर्षीय गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से अचानक तबीयत खराब हो शनिवार रात में करीब 10 बजे तेज प्रसव पीड़ा उठने के बाद ग्रामीणों ने महिला को डोली के सहारे आपदा में ध्वस्त और बदहाल रास्तों पर पांच किमी चलकर चम्पावत जिले के पाटी ब्लॉक पहुंचाया। रात में डोली में लाने वाले राम सिंह बोरा ,महेश सिंह बोरा ,सुंदर सिंह बोरा , भुवन सिंह बोरा आदि लोग थे ।