@. कार्यकाल… ★. प्रधानों की उम्मीद पर फिर पानी, नहीं बढ़ेगा त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल ★. शासन ने दिया यह हवाला, दिसंबर में चुनाव करवाने का लिया फैसला रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

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@. कार्यकाल…

★. प्रधानों की उम्मीद पर फिर पानी, नहीं बढ़ेगा त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल

★. शासन ने दिया यह हवाला, दिसंबर में चुनाव करवाने का लिया फैसला

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

देहरादून – नवंबर में पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद दिसंबर में 7,795 ग्राम पंचायतों और 400 जिला पंचायत सदस्यों समेत क्षेत्र पंचायत और वार्ड सदस्यों के पदों पर चुनाव कराए जाएंगे। उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन से जुड़े पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर मंगलवार को प्रदेश के 89 ब्लॉक कार्यालयों में तालाबंदी कर प्रदर्शन किया। प्रदेशभर के पंचायत प्रतिनिधि त्रिस्तरीय पंचायतों का दो साल का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर जहां 15 जुलाई से आंदोलनरत हैं। वहीं, शासन का स्पष्ट कहना है कि पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा। पंचायत एक्ट में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं हैं। पंचायती राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार यादव बताते हैं कि पंचायतों के चुनाव का कार्यकाल बढ़ाने की पंचायतराज एक्ट में कोई व्यवस्था नहीं है। पंचायतों के चुनाव तय समय पर होंगे। पंचायतों के परिसीमन के बाद उनके आरक्षण की कार्रवाई की जाएगी। जिसके बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। प्रदेश में ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधान के 7,795, पंचायत प्रमुख के 95, जिला पंचायत अध्यक्ष के 13, ग्राम पंचायत सदस्य के 58,970, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 3,202 और जिला पंचायत सदस्य के 400 पदों के लिए चुनाव होने हैं। हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी 12 जिलों में विभाग की इसी साल चुनाव कराने की तैयारी है।पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने पिछले दिनों मुख्य सचिव को पंचायतों का दो साल का कार्यकाल बढ़ाने के लिए जरूरी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। निर्देश में कहा गया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2024-25 में न कराकर हरिद्वार जिले के साथ वर्ष 2027 में कराने चाहिए। विभागीय मंत्री ने यह भी कहा, झारखंड ने पंचायतों का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया था। वहीं, राजस्थान ने भी एक राज्य एक चुनाव की घोषणा की है। इन राज्यों से जानकारी लेकर किस तरह की व्यवस्था हो सकती है, इस पर कार्य किया जाए। राज्य गठन के बाद 2001 में पंचायतों के चुनाव होने थे, लेकिन उस दौरान एक साल तीन महीने 28 दिन का कार्यकाल बढ़ाया गया। झारखंड सरकार ने भी पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया है।