@. किरकिरी… ★. सरल भाषा में समझिए प्राकृतिक और जैविक खेती में क्या होता है अंतर? ★.क्या होती है प्राकृतिक खेती, कृषि मंत्री ही नहीं दे पाए जवाब, विधानसभा में हुई किरकिरी… रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) स्टार खबर

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@. किरकिरी…

★. सरल भाषा में समझिए प्राकृतिक और जैविक खेती में क्या होता है अंतर?

★.क्या होती है प्राकृतिक खेती, कृषि मंत्री ही नहीं दे पाए जवाब, विधानसभा में हुई किरकिरी…

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) स्टार खबर

देहरादून:
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान शुक्रवार का दिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, जब कृषि मंत्री गणेश जोशी प्राकृतिक खेती पर सवालों के घेरे में आ गए. विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सत्ता पक्ष के विधायक बृजभूषण गैरोला ने प्राकृतिक खेती को लेकर सवाल पूछा. इसके बाद कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाति ने क्रॉस सवाल करते हुए कृषि मंत्री से प्राकृतिक खेती की परिभाषा बताने को कहा कि जैसे ही कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जवाब देना शुरू किया, सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने उनके जवाब पर सवाल खड़े कर दिए. लगभग 25 मिनट तक गणेश जोशी प्राकृतिक खेती की परिभाषा समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन सदन के सदस्य उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए. स्थिति बिगड़ती देख विधानसभा अध्यक्ष ने सवाल को स्थगित कर दिया.

★ कृषि मंत्री के ज्ञान पर सवाल…

कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाति ने कृषि मंत्री के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंत्रीजी न केवल गलत परिभाषा दे रहे थे, बल्कि उनके अधिकारी भी उन्हें सही परिभाषा नहीं बता सके. वीरेंद्र जाति का मानना है कि एक कृषि मंत्री होने के नाते गणेश जोशी को स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि प्राकृतिक खेती क्या होती है और इसमें कौन-कौन सी फसलें आती हैं.
हालांकि, गणेश जोशी अपने जवाब पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि मैंने जो उत्तर दिया है, वह सही है. कोई भी कृषि वैज्ञानिक इससे सहमत होगा.

★. क्या मंत्री बिना तैयारी के आते हैं?

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या कैबिनेट मंत्री विधानसभा में पूरी तैयारी के साथ नहीं आते? सदन में संतोषजनक उत्तर न दे पाने के कारण अक्सर मंत्री विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के निशाने पर आ जाते हैं. गणेश जोशी के मामले ने यह साबित कर दिया कि सदन में पूरी तैयारी के बिना जाना भारी पड़। सकता है।

वही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने तंज कसते हुए कहा कि कृषि मंत्री जी यह नहीं बता पा रहे कि प्राकृतिक खेती कैसे और कहाँ होती है ? और जैविक व प्राकृतिक खेती में क्या अंतर है ? राज्य के किसानों की आर्थिक उन्नति के ध्वजवाहक है ये ।

आइये हम आपको बताते हैं कि दोनों खेती में क्या अंतर होता है…

प्राकृतिक और जैविक खेती में क्या अंतर होता है ? गांव जंक्शन की इस खास रिपोर्ट में हम आसान भाषा में आपको बताएंगे। जैविक और प्राकृतिक दोनों तरह की खेती गैर-रासायनिक खेती होती है, लेकिन इसके बावजूद दोनों में अंतर होता है। प्राकृतिक खेती उसे कहते है जिसमें ना हल चलाना पड़ता है, ना बीज बोना पड़ता है। प्राकृतिक रूप से पैदा हुए अनाज, फल, सब्जियां आदि प्राकृतिक खेती कहलाती हैं। जबकि जैविक खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल होता है। प्राकृतिक खेती में बाहर से मिट्टी में न तो रासायनिक और न ही जैविक खाद मिलाई जाती है। यानी की मिट्टी में कोई बाहरी उर्वरक नहीं डाला जाता है। इसके उलट जैविक खेती में जैविक खाद का उपयोग होता है।

★. जैविक और प्राकृतिक खेती में अंदर समझिए

1. जैविक खेती में वर्मीकम्पोस्ट और गाय के गोबर आदि की खाद का इस्तेमाल होता है।

2. जबकि प्राकृतिक खेती में मिट्टी पर रासायनिक या जैविक खाद का प्रयोग नहीं होता है।

3. जैविक खेती के लिए जुताई, झुकना, खाद मिलाना, निराई और अन्य बुनियादी कृषि संबंधित जरूरी गतिविधियों को करना पड़ता है।

4 . वहीं, प्राकृतिक खेती में न तो जुताई की जरूरत है, न मिट्टी झुकती, न कोई उर्वरक की आवश्यता पड़ती है। इस प्रकार की खेती प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर पूर्णत: निर्भर है।