@देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा दाखिल जनहित याचिका….
….मानव वन्य जीव संघर्ष में दाखिल जनहित याचिका में हाई कोर्ट सख्त, सरकार को फटकार, कहा, आदेशों का अनुपालन करें अन्यथा कोर्ट में उपस्थित हों प्रमुख सचिव वन |…..
……स्टार खबर के लिए नैनीताल आए रिपोर्ट सुनील भारती की रिपोर्ट
देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, आज मानिनय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सरकार द्वारा मानव जिव संघर्ष में निष्क्रिय रहने पर गंभीर टिपणी की है | मानिनय उच्च न्यायालय की खंडपीठ जिसकी अगवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायाधीश अलोक वर्मा कर रहे थे, उसमे अपने हाल ही के आदेश में यह बात स्पष्ट करि की मानव वन्य जिव संघर्ष की रोख थाम करने हेतु दिए गए पूर्व दिशा निर्देशों पर सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं करी है |
गौरतलब है की नवंबर 2022 में जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तब, उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे की वह मानव जिव संघर्ष को रोकने के लिए विसेसंज्ञों की समिति गठित करें, जिनको जमीनी हकीकत और असल में धरातल में काम करने का तजुर्बा हो| मानिनय उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था की प्रमुख वनसंरक्षक विनोद सिंघल द्वारा दाखिल शपथपत्र में केवल कागजी कार्यवाही का उल्लेख था और धरातल पर स्थिति सुधारने हेतु किस तरीके से मानव वन्य जिव संघर्ष को रोका जा सकता है, इसकी कोई रुपरेखा नहीं थी | पुनः जब मामले की सुनवाई हुई तब सरकार द्वारा खुद ही मानिनय उच्च न्यायालय को यह बताया गया की उसके पूर्व के इस आदेश की अनुपालना नहीं हुई है जिसमे समिति गठित की गयी हो |
इसके लिए सरकार द्वारा और समय माँगा गया, मामले में गंभीर टिपणी करते हुए कार्यवाही के लिए अंतिम अवसर देते हुए मानिंन्य उच्च न्यायालय ने उन्हें दो सप्ताह का समय दिया है और यह भी कहा गया है की अगर दो सप्ताह में कार्यवाही नहीं होती तो प्रमुख सचिव वन आर० के० सुधांशु मानिंन्य उच्च न्यायालय में उपस्थित होंगे | मामले की अगली सुनवाही 22 मई 2023 के लिए चिन्हित की गयी है |