@जिस नेता को जेल भेजने में लगी थी सरकार उसी को विधानसभा पहुंचे की लगा दी अब ताकत.. ★बीजेपी के खिलाफ वोट की अपील तो नए कानूनों के खिलाफ खोल मोर्चा… रिपोर्ट- (चंदन सिंह बिष्ट ) “स्टार खबर ” नैनीताल

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@जिस नेता को जेल भेजने में लगी थी सरकार उसी को विधानसभा पहुंचे की लगा दी अब ताकत..

★बीजेपी के खिलाफ वोट की अपील तो नए कानूनों के खिलाफ खोल मोर्चा…

रिपोर्ट- (चंदन सिंह बिष्ट ) “स्टार खबर ” नैनीताल

नैनीताल – हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन को जो व्यापक बढ़त हासिल हुई है, वह बीते दस सालों में मोदी की तानाशाही के खिलाफ और संविधान व लोकतंत्र के पक्ष में जनता के पक्ष की अभिवयक्ति है.
लेकिन जनता द्वारा वोट के माध्यम से दी गयी चेतावनी को अनदेखा करते हुए मोदी की भाजपा अपने पुराने अंहकार और दंभ का ऐसा प्रदर्शन कर रही है, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
ऊपर के स्तर पर पुराने मंत्रिमंडल और लोकसभा का दोहराव किया गया है. जमीनी स्तर पर दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हमले और भीड़ हिंसा की घटनाएं फिर गति पकड़ने लगी हैं. प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन पर दस साल पुराने मामले में यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने से स्पष्ट है कि मोदी सरकार मतभिन्न्ता और लोकतांत्रिक स्वरों को कुचलने जारी रखना चाहती है.
नए फ़ौजदारी कानून जो एक जुलाई से लागू होने जा रहे हैं, वे राज्य को पुलिसिया राज्य में बदलने वाले और नागरिक स्वतंत्रताओं को कुचलने वाले हैं. बिना चर्चा के हड़बड़ी में ये कानून पास किए गए हैं, इसलिए इनके क्रियान्वयन पर रोक लगनी चाहिए.
नीट और नेट में घोटाला, भीषण ट्रेन दुर्घटना से मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत हुई हैं. इन सबकी ज़िम्मेदारी लेने से बचती सत्ता भी पुराने ही चरित्र का प्रदर्शन है. किसी कि भी उपलब्धि हो तो श्रेय मोदी के खाते में जाएगा और केंद्र सरकार की विफलताओं की ज़िम्मेदारी चाहे किसी की भी हो पर मोदी की नहीं होगी !
इंडिया गठबंधन के रूप में संगठित राजनीतिक पार्टियों का यह जिम्मा है कि संसद के भीतर मोदी, उनकी सरकार और लोकसभा अध्यक्ष की तानाशाही के विरुद्ध अपनी बढ़ी हुई ताकत के दम पर वे अंकुश लगाएं तथा राजनीतिक पार्टियों के साथ ही समाज के तमाम न्याय पसंद, लोकतंत्र पसंद हिस्सों को सड़क के संघर्षों के जरिये फासीवादी निजाम पर नकेल कसना होगा.
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार हर मोर्चे पर फेल है. प्रदेश में आए दिन हत्या, महिला अपराध और दलित उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही है.
बीते दिनों हरिद्वार जिले के बहादराबाद में एक नाबालिग युवती के गैंगरेप और हत्या में भाजपा नेता और अति पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष आदित्यराज सैनी का नाम आया है. भाजपा ने उनको पार्टी से तो निकाला है, लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं हुई है.
बीते दिनों अल्मोड़ा जिले में चार वनकर्मी आग बुझाते हुए मारे गए. साल दर साल वनाग्नि की घटनाएं होने के बावजूद आग बुझाने का कोई प्रभावी तंत्र और उपकरणों का इंतजाम भाजपा सरकार नहीं कर सकी है. उच्चतम न्यायालय की फटकार के बावजूद राज्य की भाजपा सरकार लापरवाह बनी रही और निर्दोषों को उसकी लापरवाही की कीमत चुकानी पड़ी.
देहरादून में गरीबों की झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है, लेकिन प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. जनता के सपनों की राजधानी गैरसैण की सरकारी ज़मीनों पर अतिक्रमण हो रहा है और राज्य सरकार कार्यवाही करना तो दूर, सूचना आयोग के निर्देश के बावजूद पूरे गैरसैण की सरकारी ज़मीनों पर अतिक्रमण की रिपोर्ट तक तैयार करने को तैयार नहीं है.
उत्तराखंड में सरकारी तंत्र किसी तरह छात्र-युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है, इसका नमूना बीते दिनों श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के मामले से साफ हुआ. सूचना अधिकार में पता चला कि उक्त विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं का बेहद गैरजिम्मेदाराना तरीके से मूल्यांकन किया जा रहा है. श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने में बेहद मनमानी हुई और उसकी कीमत छात्र-छात्राओं को चुकानी पड़ रही है.
उत्तराखंड में विधानसभा के दो उपचुनावों- बद्रीनाथ और मंगलौर में भाकपा(माले) प्रदेश की जनता से भाजपा को सबक सिखाने की अपील करती है. बद्रीनाथ विधानसभा का उपचुनाव तो भाजपा ने प्रदेश की जनता पर थोप दिया है. भाजपा की तोड़-फोड़, खरीद-फरोख्त की राजनीति के चलते प्रदेश पर इस अतिरिक्त उपचुनाव का बोझ पड़ा था. कल तक भाजपा जिस व्यक्ति को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल भेजने का दम भरती थी,आज उसी व्यक्ति को वे विधानसभा भेजने के लिए वे ज़ोर लगाए हुए हैं।