@पारंपरिक कलाकारों द्वारा मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण कार्य प्रारंभ… ★रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर” नैनीताल…

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@पारंपरिक कलाकारों द्वारा मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण कार्य प्रारंभ…

★रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर” नैनीताल…

नैनीताल। – श्री राम सेवक सभा में आज लोक पारंपरिक कलाकारों द्वारा मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण हेतु बास को साफ करने का काम प्रारंभ हुआ जिसमें हरे बास की खपचिया बनाई जाती है । इस कार्य को करने वाले कलाकारों ने बताया की बास की दो सेट की खपच्चियां बनाई जाति है, जिससे केले के तने के साथ मां की मूर्ति का ढांचा तैयार किया जाता है ।

बास जिसे बंबूसा कहा जाता है इसके 24 वंश भारत में मिलते है । यह तेजी से बड़ने वाला पौधा है । इसका सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्व है । विश्व में 12 अरब अमेरिकी डॉलर का कारोबार बास से किया जाता है यह पूअर में टिंबर के नाम से प्रसिद्ध है । बास में सामूहिकता ,लचीलापन , पुनर जनन का स्थाई रूपक है।यह सौभाग्य का प्रतीक है जापान में इसे बन सब्जियों का राजा कहा जाता है । बास सादगी तथा निरंतर विकास का प्रतीक है । लगभग 5000 वर्षों से प्रयुक्त होता है मानवीय सेवा में । हिंदू धर्म में इसे पवित्र माना गया है । शादी ,मुंडन में इसकी पूजा होती है।इसको जलाना वर्जित माना गया है जल में घुलन शील है । बरसो की परंपरा में बास मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण में प्रयुक्त होता आ रहा है । इस कार्य को करने वाले हीरा सिंह, हरीश पंत ,अमर साह ,गोविंद ,गोधन बताते है वह कई वर्षो से बास लाने तथा छिलने का काम करते है जिसके लचीले होने पर नाप अनुसार खपच्चियां बनाई जाती है जो मूर्ति का आधार है यही परंपरा की शुरुआत करते है और प्रकृति प्रेम के प्रति हमे सचेत करते है।