@उपलब्धि…
★कुमाऊँ विश्वविद्यालय में पहली बार किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पी-एच०डी० की मौखिक परीक्षा पास की……
20 वर्षों से इतिहास विभाग, नैनीताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (संविदा) पर कार्यरत है..
★रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर ” नैनीताल…
नैनीताल – इतिहास विभाग, डी०एस०बी० परिसर के शोधार्थी शिवराज सिंह कपकोटी की पी-एच०डी० की मौखिक परीक्षा सम्पन्न हुयी। बाह्य परीक्षक के रुप में प्रो० अभय कुमार सिंह, कुलपति, नालंदा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राजगीर, बिहार ने ऑनलाइन माध्यम से मौखिक परीक्षा ली। शिवराज सिंह कपकोटी का शोध शीर्षक पद्मश्री डॉ० यशोधर मठपाल का सांस्कृतिक अवदान एक ऐतिहासिक मूल्यांकन है। शिवराज ने अपना शोध प्रबन्ध प्रो० सावित्री कैड़ा जन्तवाल के निर्देशन में पूरा किया। डॉ० मठपाल जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व पर कार्य करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। फिर भी शिवराज ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सम्पन्न करने का बीड़ा उठाया।
गौरतलब बात यह है कि शिवराज विगत 20 वर्षों से इतिहास विभाग, डी०एस०बी० परिसर, नैनीताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (संविदा) पर कार्यरत है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में यह पहला मामला है कि किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पी-एच०डी० की है। वो भी उन्होंने यू०जी०सी० )रेगूलेशन 2009-2010 के तहत पी-एच०डी० प्रवेश परीक्षा पास कर मेरिट के आधार पर पी-एच०डी० प्रवेश लेकर अपना शोध कार्य सम्पन्न किया है।
यह उत्तराखण्ड का भी पहला मामला तो है ही कदाचित यह भारत देश का भी पहला मामला हो सकता है कि किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वो भी संविदा में ने यह कारनामा किया हो।
अपनी इस उपलब्धि पर शिवराज कहते है कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे डी०एस०बी० परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में सेवा करने का अवसर मिला तो मैं ऐसे विद्वत जनों के संपर्क में आया कि मुझे अपने जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। इस हेतु शिवराज ने माता-पिता तथा प्रो० अजय रावत, पद्मश्री प्रो० शेखर पाठक
आदि गुरुजनों का आभार व्यक्त किया है साथ ही प्रो० दीवान सिंह रावत, कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के आशीर्वाद हेतु भी शिवराज ने आभार व्यक्त किया है।
शिवराज बताते है कि विशेष रुप से प्रो० गिरधर सिंह नेगी, डॉ० भुवन चन्द्र शर्मा का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि उनके मार्गदर्शन और सहयोग के बिना यह शोध कार्य पूरा करना असंभव था। मैं इसके लिए आजीवन उनका आभारी रहूंगा।
शिवराज कि इस उपलब्धि प्रो० संजय घिल्डियाल, संजोजक एवं विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, प्रो० संजय कुमार टम्टा, डॉ० शिवानी रावत, डॉ० रितेश साह, डॉ० मनोज सिंह बाफिला, डॉ० पूरन सिंह अधिकरी, डॉ० हरदयाल सिंह जलाल, डॉ बिरेन्द्र पाल, भुवन पाठक आदि ने खुशी व्यक्त की।