@राजनीति के अजातशत्रु ‘अटल ‘…..
★पुण्य तिथि पर विशेष …..
★रिपोर्ट (हर्षवर्धन पाण्डे) स्टार खबर नैनीताल…..
अटल बिहारी वाजपेयी एक साधारण परिवार में जन्मे इस राजनेता ने भारतीय राजनीती में जो छाप छोड़ी उसकी मिसाल आज की राजनीती में देखने को नहीं मिलती। अटल को बड़ा बनाने में संघ परिवार की बड़ी भूमिका थी जिसकी छाँव तले अटल जी राष्ट्र के जननायक बने, और जनता जनार्दन के दिलों में में अपनी खास जगह बनायी। एक शालीन नेता के रूप में अटल जी युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। भारत की राजनीति में आदर्श मूल्यों को स्थापित करने वाले राजनेता के रूप में पंडित अटल बिहारी जाने जाते हैं । अपनी वाकपटुता से विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले व्यक्तित्व के धनी पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन बेदाग रहा । इसी बेदाग छवि के चलते अटल बिहारी वाजपेयी ने हर राजनीतिक दाल के लोगों से सम्मान पाया। पंडित जी जब भी संसद में अपनी बात रखते थे तब विपक्ष भी उनको गंभीरता के साथ सुना करता था। अटल राजनीती में बेशक थे लेकिन उनका कवि हृदय हमेशा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता था। अटलबिहारी वाजपेयी गठबंधन की राजनीती के सबसे बड़े सूत्रधार रहे। दो दर्जन से अधिक दलों को एक छतरी के बीच लाना असंभव था लेकिन अटल जी ने अपनी दूरदृष्टि से असंभव को भी संभव कर दिखाया संभव कर दिया उनकी सरकार ने अस्थिरता के भंवर में फंसे देश को एक नई राजनीति को राह दिखाई। भारत जैसे देशों में जहां मिलीजुली सरकारों की सफलता एक चुनौती थी, अटलजी ने साबित किया कि स्पष्ट विचारधारा,राजनीतिक चिंतन और साफ नजरिए से भी परिवर्तन लाए जा सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में बड़े दिन के अवसर पर 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। अटल जी के पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे। कृष्ण बिहारी वाजपेयी साथ ही साथ हिन्दी के प्रख्यात कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कालेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डी. ए. वी. महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। अटल बिहारी वाजपेयी जी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था और स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण प्रतियोगिताएं में भाग लेते थे। अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और इसके बाद आगे बढ़ते ही गए । अटल बिहारी वाजपेयी कुशल पत्रकार भी थे और राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।अटल 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की और से संसदीय दल के नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था और आगे चलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की ये भविष्यवाणी सच भी साबित हुई। देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था और 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। आपातकाल की वजह से इंदिरा गाँधी को 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे। तब अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया । विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के वो पहले वक्ता बने और अपनी वाक कला से सभी का दिल जीत लिया। 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और अटल जी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 1998 में वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। 13 महीने के इस कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की ताकत का अहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत किसी के आगे नहीं झुका। अटल ने ही 1999 में दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई और पडोसी पाक के साथ एक नए युग की शुरुआत की लेकिन ये मित्रता अधिक दिनों तक नहीं चल सकीय। पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ कर ली । भारतीय सेना के अपने पराक्रम को दिखाते हुए पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। कारगिल में पाक को हार का सामना करना पड़ा। इस विजयश्री का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया जिसका परिणाम ये हुआ 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में ही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने अपनी सरकार बनायी। इस बार अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इस दौर में देश ने धुंआधार प्रगति की । अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री बी सी खंड़ूडी के नेतृत्व में स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। उनकी सरकार ने सुशासन को सही मायनों में साबित करके दिखाया और गाँव के अंतिम छोर तक विकास की किरण पहुंचाने का काम किया।
2004 में जब लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा। लेकिन इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला लेकिन वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बनायी और भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। इसके बाद लगातार अस्वस्थ्य रहने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति से सन्यास ले लिया। अटल जी को देश-विदेश में अनेक पुरस्कारों से भी नवाजा गया । तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ अजातशत्रु अटल जी का 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनका व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। अटल जी भारत देश के लोगों के जीवन में अपनी महान उपलब्धियों और अपने विचारों का ऐसा उजाला डाल कर गए हैं जो कि देश के नौजवानों को सदा राह दिखाते रहेंगे। अटल जी को आज भी भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाता है। भारतीय राजनीति के इस भीष्म पितामह को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा । वे भारतीय राजनीति में एक ऐसी लंबी लकीर खींच गए हैं, जिसके आस पास तक कोई राजनेता कम से कम आज के दौर की राजनीति में फिट नहीं बैठता ।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे। देश अटल जी के योगदान को कभी भुला नहीं पायेगा। जब – जब भारतीय राजनीती में शुचिता , ईमानदारी और राजधर्म पालन की बात होगी तो देश इस करिश्माई नेता का व्यक्तित्व सदियों तक याद रखेगा ।