@देव भूमि उद्यमिता योजना… ★डॉ.किरण तिवारी ने विद्यार्थियों को ऐपण कला के विषय में व्याख्यान दिया… ★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर ” नैनीताल…

19

नैनीताल। देव भूमि उद्यमिता योजना उत्तराखंड के अंतर्गत बारह दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम के आठवें दिन आज कार्यक्रम में पहले सत्र में डॉ.किरण तिवारी सहायक प्राध्यापक महिला अध्ययन केंद्र हीरमिटेज परिसर कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल ने प्रतिभाग कर रहे विद्यार्थियों को ऐपण कला के विषय में व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि कुमाऊं ऐपण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रतीक है, जो कुमाऊं की समृद्ध संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है। इसका उपयोग न केवल एक उपयोगी वस्त्र के रूप में किया जा सकता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी है। दूसरे सत्र प्रो.ललित तिवारी विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग डीएसबी परिसर नैनीताल तथा निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल ने बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर प्रतिभागियों को व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि
बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) एक व्यक्ति या संगठन के मानसिक सृजन को सुरक्षित करने के लिए बनाए गए कानूनी अधिकार हैं। ये अधिकार व्यक्तियों और संगठनों को अपने मानसिक सृजन को सुरक्षित करने और उसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

बौद्धिक संपदा अधिकार के मुख्य प्रकार हैं:

1. *पेटेंट*: पेटेंट एक नए और उपयोगी आविष्कार को सुरक्षित करने के लिए दिया जाने वाला अधिकार है।
2. *कॉपीराइट*: कॉपीराइट एक साहित्यिक, संगीत, कलात्मक या सिनेमैटोग्राफिक कार्य को सुरक्षित करने के लिए दिया जाने वाला अधिकार है।
3. *ट्रेडमार्क*: ट्रेडमार्क एक व्यावसायिक चिह्न या प्रतीक को सुरक्षित करने के लिए दिया जाने वाला अधिकार है।
4. *डिज़ाइन*: डिज़ाइन एक उत्पाद के आकार, रंग और बनावट को सुरक्षित करने के लिए दिया जाने वाला अधिकार है।
5. *भौगोलिक संकेत*: भौगोलिक संकेत एक उत्पाद के मूल स्थान को सुरक्षित करने के लिए दिया जाने वाला अधिकार है।

बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्व हैं:

1. *नवाचार को प्रोत्साहित करना*: बौद्धिक संपदा अधिकार नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं और व्यक्तियों और संगठनों को नए और उपयोगी आविष्कार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
2. *मानसिक सृजन को सुरक्षित करना*: बौद्धिक संपदा अधिकार मानसिक सृजन को सुरक्षित करते हैं और व्यक्तियों और संगठनों को अपने मानसिक सृजन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
3. *आर्थिक विकास को बढ़ावा देना*: बौद्धिक संपदा अधिकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं और व्यक्तियों और संगठनों को नए और उपयोगी आविष्कार करने के लिए प्रेरित करते हैं।

बौद्धिक संपदा अधिकार एक महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार है जो व्यक्तियों और संगठनों को अपने मानसिक सृजन को सुरक्षित करने और उसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह अधिकार नवाचार को प्रोत्साहित करता है, मानसिक सृजन को सुरक्षित करता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।आज के कार्यक्रम में डॉ.विजय कुमार नोडल अधिकारी देवभूमि उद्यमिता योजना केंद्र वाणिज्य विभाग डीएसबी परिसर नैनीताल, अभिषेक नंदन प्रोजेक्ट ऑफिसर देवभूमि उद्यमिता योजना उत्तराखंड सरकार सहित प्रतिभागी उपस्थित रहे।