बड़ी खबर..टनल से बाहर निकले 41 मजदूर..विज्ञान के साथ आस्था ने बचाई जान..देवदूत बने रैस्क्यू करने वाले…कहां के कितने मजदूर आज मनेगी इनके घरों में दीवाली जानें…

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उत्तरकाशी – उत्तरकाशी के सिलक्यारा से 17वें दिन अच्छी खबर आई है..आज सभी 41 मजदूरों को निकाल लिया गया है..पिछले 17 दिनों से ये मजदूर टनल में फंसे थे और जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे..आज सभी मजदूरों को निकाला गया है। टनल के ब्रेकथ्रू करने के बाद एनडीआरएफ की टीम दूसरी तरफ पहुंची जिसके बाद एक एक कर सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है..सभी स्वस्थ्य हैं जिनको जांच के बाद स्थानीय अस्पताल में भेजा गया है..दीपावली के दिन हुई इस घटना के बाद आज स्थानीय लोगों ने भी इन मजदूरों को निकाले जाने के बाद दीवाली मनाई है। हांलाकि सरकार ने मेडिकल टीम के साथ दवा व अन्य सुविधाएं पहले ही यहां रख दी गई थी..वहीं इन सभी मजदूरों को इलाज दिया जा रहा है अगर कोई गम्भीर होगा तो एम्स ऋषिकेश एयर लिफ्ट के जरिये भेजा जायेगा..इन सभी मजदूरों के लिये 31 एम्बुलेंस यहां रखी गई थी..अब इन सभी मजदूरों को 48 से 72 घंटे तक इनको डाँक्टरों की देख रेख में रखा जायेगा..

 

कैसे हुई घटना…

 

दरअसल 12 नवंबर 2023 को सुबह 5 बजे के दौरान सिलक्यारा से बड़कोट के बीच बन रही टनल में धंसाव हुआ था..टनल के सिलक्यारा हिस्से से 60 मीटर अंदर मलवा गिर गया था जिससे वहां 41 मजदूर फंस गये थे..ये सभी 41 मजदूर सिलक्यारा से 260 मीटर से 265 मीटर अंदर रिप्रोफाइलिंग का काम कर रहे थे..घटना की सूचना के बाद तुरंत राज्य व केन्द्र सरकार समेत सभी एजेंसियों को दी गई जिसके बाद रैस्क्यू का काम शुरु किया गया हांलाकि तत्काल पाइपों के जरिये सुरंग में फंसे सभी मजदूरों के लिये आँक्सीजन पानी और पैक खाना भेजा गया और वाँकी टाँकी के जरिये इनसे बातचीत किया गया.. दिपावली के दिन से टनल में फंसे मजदूरों के घरों में आज खुशियां लौटी हैं तो आज इन लोगों के लिये दीवाली जैसे दिन है..

इन राज्यों के हैं मजदूर…

दरअसल 41 दिनों से फंसे मजदूरों पर पूरे देश के नजरें अटकी पड़ी हैं लेकिन ये मजदूरों को आज निकाला जा सका है..इन मजदूरों में 2 उत्तराखण्ड के हैं तो उत्तरप्रदेश से 8 मजदूर यहां काम करने आए थे..वहीं बंगाल के 3 झरखण्ड के 15 हिमांचल का 1 बिहार के 5 असम के 2 व उडिसा के 5 मजदूर थे।

विज्ञान भी आस्था भी…

गौरतलब है कि सिलक्यारा में विज्ञान के साथ काम हुआ था आस्था का भी सैलाब यहां उमड़ा रहा..जहां एक ओर विदेशों से रैस्क्यू के लिये बड़ी मशीनें मंगाई गई तो स्थानीय स्तर पर पूजा पाठ भी हुआ..मजदूरों को निकालने में हो रही देरी पर टनल के बाहर बाबा बौखनाथ का मन्दिर स्थापित किया गया तो वहीं राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर रैस्क्यू में लगे सभी लोगों ने बाबा का आशिर्वाद लिया गया..वहीं इस मंदिर के पास ही पानी से भगवान शिव की आकृति बनी जिसके बाद इसे सोशल मीडिया में वायरल करते हुए भगवान शिव का आशिर्वाद मजदूरों के साथ कर भेजा जा रहा था।

आपको बतादें कि बाबा बौखनाग सिलक्यारा समेत तीन पट्टियों के ईष्ट देवता हैं और मंदिर के अंदर भगवान नागराज की प्रतिमा है..इलाके के लोग यहां कड़ाहीं भी चढाते हैं ऐसी मान्यता है कि बाबा बौखनाग इस इलाके के रक्षक हैं।