@. हल्द्वानी बनभूलपुरा… ★. सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे मामले में मांगा प्लान, ★. अब सुप्रीम कोर्ट इस तारीख को कर सकता है अहम सुनवाई रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

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दिल्ली – हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। आज सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र राज्य व रेलवे के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो बैठक करें और रिपोर्ट कोर्ट में फाइल करें। वहीं कोर्ट ने पक्षकारों से पूछा है कि कितनी जमीन किस खाना खतौनी में है और कुल कितने लोग हैं जो इस इलाके में हैं। कोर्ट ने सरकार को कहा है कि क्या इनको कहीं विस्थापित बाहर किया जा सकता है इस पर रिपोर्ट कोर्ट को दें।
दरअसल उत्तराखण्ड हाईकोर्ट कोर्ट ने 27 दिसंबर 2022 को हल्द्वानी रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था कोर्ट ने अपने आदेश में 1 हफ्ते का समय दिया था जिससे 4 हजार से ज्यादा परिवारों पर संकट आ गया था..हांलाकि हाईकोर्ट के आदेश को कई याचिकाओं के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है

हल्द्वानी के बहुचर्चित रेलवे, राज्य सरकार बनाम बनभूलपुरा प्रकरण में बुधवार को सुप्रीमकोर्ट में बेहद अहम सुनवाई हुई। करीब पौन घंटे बहस चली। 11 जनहित याचिकाओं पर जस्टिस उज्जवल भुयान, अरविंद कुमार तथा दीपांकर दत्ता की बैंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकीलों में दिग्गज अधिवक्ता सलमान खर्शीद, सिद्धार्थ लूथरा, कॉलिन गॉन्जालवेज ने पक्ष रखा।पिछली सुनवाई 12 जुलाई को हुई थी जिसमें सर्वाेच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व रेलवे से प्लान मांगा था। अगली सुनवाई अब 11 सितंबर को होगी। सूत्रों के अनुसार आज हुई सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट में राज्य सरकार तथा रेलवे ने अपना पक्ष रखा। रेलवे ने कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेन के लिए जगह चाहिए। स्टेशन का भी विस्तार करना है। लेकिन तीनों जजों ने जब पूरा प्लान मांगा और रेलवे के इंजीनियर से इस बारे में ज्यादा डिटेल और रेलवे के दावे वाली ज़मीन के दस्तावेज़ मांगे तो रेलवे के इंजीनियर संतोषजनक दस्तावेज़ तथा फोटो कोर्ट में नहीं दिखा पाए। रेलवे की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उन्हें फिल्हाल थोड़ी जगह से अतिक्रमण हटाने दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने कहा नहीं-नहीं पूरी योजना बताओ। कोर्ट ने रेलवे, राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार से यह पूछा है कि कितनी ज़मीन चाहिए, किस खेत खसरा में कितने लोग प्रभावित होंगे और उनके विस्थापन का क्या प्लान है। सर्वाेच्च न्यायालय ने रेलवे से कहा कि आपको ज़मीन की ज़रत है तो जनहित याचिका का सहारा क्यों ले रहे हो जिसपर रेलवे की ओर से जवाब दिया गया कि स्थानीय एडमिनिस्ट्रेशन उनकी बात नहीं सुनता। जानकारों की मानें तो आज की बहस इस पूरे मामले के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अगली सुनवाई 11 सितंबर को है और वो इस सुनवाई से भी बेहद अहम हो सकती है। हो सकता है कि अगली सुनवाई पर यह पूरा मामला ही सुलट जाए।