@. चिन्ता… ★. वनाग्नि जैसे संवेदनशील विषय पर सरकार का कोई दृष्टिकोण नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण – सुमित हृदयेश ★. वनाग्नि और पेयजल संकट पर हल्द्वानी विधायक ने जताई चिंता: कहा- राज्य सरकार उठाए उचित कदम। (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

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@. चिन्ता…

★. वनाग्नि जैसे संवेदनशील विषय पर सरकार का कोई दृष्टिकोण नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण – सुमित हृदयेश

★. वनाग्नि और पेयजल संकट पर हल्द्वानी विधायक ने जताई चिंता: कहा- राज्य सरकार उठाए उचित कदम।

(चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”
हल्द्वानी:
विधायक सुमित हृदयेश ने वनाग्नि को लेकर प्रदेश सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाया है कहा हर रोज कई हेक्टेयर जल रहे हैं और वन महकमे के अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं जंगलों को बचाने के लिए धरातल में कोई ठोस रणनीति दिखाई नहीं दे रही है वही विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि गर्मी की शुरुआत के साथ ही पेयजल संकट पर हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने चिंता जाहिर की है। विधायक सुमित हृदयेश का कहना है कि सरकार को पेयजल संकट से निपटने के लिए समय रहते उचित कदम उठाने चाहिए। आमजान पानी की संकट से त्रस्त हो चुका है परंतु राज्य की सरकार अभी भी गहरी नींद में सोई हुई हैं ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे सरकार को आम जनमानस ती परेशानियों से कोई लेना देना ही नहीं है परंतु इसका जवाब भी आने वाले निकाय चुनावो में जनता ज़रूर देगी। विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि वे बार बार एक ही बात बोलते हैं कि सरकार को तुरंत ट्यूबेलो का इंतज़ाम, जल संरक्षण करना चाहिए जिससे पानी का संकट कम हो सके और जनता को राहत मिल सके। विधायक सुमित हृदयेश ने वनाग्नि पर भी कहा कि लगातार हर रोज़ कई हेक्टेयर जंगल जल रहें है जिसके कारण अब मानव क्षति भी होने लगी है परंतु इसके रोकथाम में सरकार नाकाम साबित होती दिख रही है। प्रदेश का वन विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग इस मामले में कहीं नहीं दिखता है। आग से धधकती प्रदेश की अमूल्य वन सम्पदा के साथ ही हमारे वन्य पशु,वृक्ष-वनस्पतियां,जल स्रोत और यहां तक कि ग्लेशियर भी इस भीषण दावानल से संकट में है।कभी यह आग ग्रामीण रिहायशी इलाकों तक पहुँच जाने से जनहानि और ग्रामीणों के मवेशीयों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वन विभाग और उसकी अग्निशमन शाखा और उसके कर्तव्यों और उसकी तैयारी इस बार भी शून्य है । ऐसे संवेदनशील विषय पर सरकार का कोई दृष्टिकोण नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार के पास तमाम संसाधन हैं लेकिन उसके पास न कोई तैयारी है न कोई विजन जो इस प्रदेश के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है।