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★. शोधकर्ता हेमन्त कुमार बिनवाल को मिली शिक्षाशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि
★. हेमन्त बिनवाल वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय, लमगड़ा (अल्मोड़ा) में शिक्षाशास्त्र के सहायक प्रोफेसर के रूप में है कार्यरत
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”
नैनीताल:
काम चाहे जितना मुश्किल हो, सफलता में उम्र बाधा नहीं बन सकती, बशर्ते इरादा पक्का होना चाहिए। पहाड़ की वादियों से निकलकर आई यह मिसाल यही साबित करती हैं। हेमंत बिनवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड सहित अपने दूरस्थ क्षेत्र के गांव (बिनवाल गांव) का नाम रोशन किया है । कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा शोधकर्ता हेमन्त कुमार बिनवाल को शिक्षाशास्त्र विषय में पीएच.डी. उपाधि प्रदान की गई है। उन्होंने अपना शोध “ए स्टडी ऑफ एप्टीट्यूड एंड लर्निंग डिफिकल्टीज इन साइंस अमंग हाई स्कूल गर्ल्स विथ रेफरेंस टू टीचर्स टीचिंग टेक्निक्स एंड स्टूडेंट्स पर्सनल बैकग्राउंड फैक्टर्स” विषय पर पूरा किया। अपने शोध में उन्होंने हाई स्कूल की छात्राओं की वैज्ञानिक अभिरुचि एवं विज्ञान विषय को सीखने में आने वाली कठिनाइयों का गहन अध्ययन किया। इस अध्ययन में शिक्षकों की शिक्षण तकनीकों तथा छात्राओं की व्यक्तिगत पारिवारिक पृष्ठभूमि की भूमिका को विशेष रूप से विश्लेषित किया गया है।
यह शोधकार्य डॉ.विजया रानी ढौंडियाल (पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष , शिक्षा संकाय, कुमाऊँ विश्वविद्यालय) के निर्देशन में पूर्ण हुआ। शोध की अंतिम मौखिकी परीक्षा (वाइवा) संपन्न हुई, जिसमें संयोजक प्रो. अतुल जोशी (विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षा संकाय), प्रो. रश्मि अग्रवाल (रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष) ने परीक्षक के रूप में भूमिका निभाई। हेमन्त कुमार बिनवाल वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय, लमगड़ा (अल्मोड़ा) में शिक्षाशास्त्र विषय के सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। अपनी इस सफलता का श्रेय उन्होंने अपने शोध निर्देशक डॉ. विजया रानी ढौंडियाल ,अपने माता-पिता श्रीमती रेवती बिनवाल एवं नरेश चंद्र बिनवाल को दिया। उनके पिता नरेश चंद्र बिनवाल वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज, शक्तिफार्म (उधम सिंह नगर) में अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों एवं मित्रों का भी आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह शोध शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।