देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग कैंपा फंड की CAG रिपोर्ट सामने आते ही देशभर में हंगामा शुरू हुआ. जिसके तुरंत बाद जांच के आदेश कर दिए गए. अब समीक्षा के दौरान यह बात सामने आ रही है कि 3 साल कि इस रिपोर्ट में कोई बड़ा घोटाला नहीं बल्कि कुछ प्रभागों में वित्तीय अनियमितता हुई हैं।इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो वन विभाग कैग की रिपोर्ट पर भी आपत्ति जता रहा है।यह वह मामले हैं जिसमें कैंपा फंड के तहत जो काम हुए वह वनीकरण से ही जुड़े थे, लेकिन कैग ने इसे कुछ आपत्तियों के साथ दरकिनार किया है.। उत्तराखंड में विधानसभा सत्र के दौरान CAG की रिपोर्ट उस समय चर्चाओं में आ गई, जब कैम्पा स्कीम में 13 करोड़ से ज्यादा के बजट में घोटाला होने की चर्चा होने लगी। बात सामने आते ही वन विभाग ने फौरन इस पर जांच के आदेश दे दिए. CEO कैंपा ने भी फौरन प्रकरण पर समीक्षा शुरू कर दी. बड़ी बात यह है कि समीक्षा के बाद कुछ ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं जिसमें वन विभाग CAG की इस रिपोर्ट में कुछ मामलों पर इत्तेफाक नहीं रख रही है।
★. उत्तराखंड कैंपा फॉरेस्ट फंड मामला (स्टार खबर, उत्तराखंड)
मामले में 42 प्रभागों में से 21 से ज्यादा के आए जवाब: इस प्रकरण पर कैंपा कार्यालय ने 42 अधिकारियों से जवाब मांगा. जिसमें 21 से ज्यादा प्रभागों ने अपने जवाब दे दिए हैं दरअसल, CAG द्वारा दिए गए बिंदुओं के आधार पर इन अधिकारियों से जवाब मांगा गया. जिसको लेकर तमाम अधिकारी अपना पक्ष रख रहे हैं। खास बात यह है कि जिन आई फोन को लेकर हंगामा हुआ उसमें जांच के दौरान पाया गया कि केवल दो आईफोन ही वन विभाग द्वारा खरीदे गए. आईफोन क्यों खरीदे गए? लैपटॉप के अलावा दूसरे उपकरणों को खरीदने की क्या आवश्यकता हुई? इस पर भी अधिकारियों से जवाब लिया जा रहा है। कैग ने 3 सालों के दौरान 753 करोड़ के खर्च का किया ऑडिट: CAG ने जो ऑडिट किया था वह पिछले तीन सालों का था. इस दौरान कैंपा फंड के तहत 753 करोड़ रुपए का ऑडिट हुआ. अधिकारियों के अनुसार इसमें से केवल 13.86 करोड़ के खर्चे पर ही कैग ने आपत्ति भरे कुछ बिंदु दिए हैं. इस तरह देखा जाए तो कैग ने ही 95% से ज्यादा बजट को सही माना है. विभाग के अधिकारी मानते हैं कि इतनी बड़ी रकम में से काफी कम मद पर आपत्ति की गई है. हालांकि जिन बिंदुओं पर आपत्ति की गई है उनमें से भी कई मामलों में वन विभाग खुद को सही मान रहा है।
★. वन मंत्री सुबोध उनियाल की माने तो –
“करीब 12 अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है साथ ही जिन उपकरणों को खरीदने की बात कही जा रही है, उस पर भी स्थिति स्पष्ट की जा रही है.. वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि जिस तरह हरेला और नर्सरी लगाने जैसे मामलों पर भी कैग ने आपत्ति दर्ज कराई है उसमें यह लगता है कि वन विभाग ऑडिट के दौरान कैग से कोई गतिरोध था ।वन विभाग ने जताई असहमति: कैग रिपोर्ट में जिस तरह हरेला और वनों में रहने वाले कर्मचारियों के लिए होने वाले कामों को लेकर आपत्ति जताई है उस पर विभाग के अधिकारी अपना एक अलग पक्ष रखते हैं”।
★. CEO कैंपा समीर सिन्हा के अनुसार –
“फिलहाल इस मामले की विस्तृत समीक्षा की जा रही है. ऐसे में कई प्रकरण ऐसे भी हैं जिसमें हमारी विनम्रता पूर्वक असहमति है. इसके अलावा जिन प्रकरणों में नियमों का उल्लंघन की बात सामने आएगी उन पर कार्रवाई भी की जाएगी. 2.69 करोड़ की अनियमितता पाखरो से जुड़ी: कैग ने 13.86 करोड़ के मद खर्च को लेकर टिप्पणी की है. जिसमें से 2.69 करोड़ की वह रकम है जो सफारी से जुड़ी है. यानी वो मामला जो पाखरो प्रकरण के रूप में पहले ही सीबीआई जांच के आधीन है. इस पर यह केंद्रीय एजेंसी पहले ही जांच कर रही है. अब तक हुई समीक्षा के दौरान वन विभाग के सामने जो बात आई है वो एक मद के दूसरे मद में खर्च से जुड़ी है. यानी अधिकतर मामले ऐसे हैं जिसमें खर्च किसी दूसरे कार्यों में किया जाना था और वन विभाग के अधिकारियों ने यह खर्च विभाग के ही दूसरे कामों में कर दिया. इस तरह प्राथमिक दृष्टि से ये घोटाला नहीं बल्कि वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हुआ मामला दिखाई दे रहा है”
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