भीमताल /ओखलकांडा
उत्तराखंड में कुछ गाढगधेरे पोखर विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए है। एक्सपर्ट को इस बात की चिंता है कि अगर हालात जल्द ही नहीं सुधरे तो नदी लुप्त तक हो सकती है। नैनीताल जिले में गंगोलीगाड़ पहाड़पानी खनस्यूं से निकलकर जो आगे गोला नदी में परिवर्तित हो जाती है जो कई नगर, कस्बों और गांवों एवं खेत खलिहानों को सींचते और पानी पिलाते हुए आगे बढ़ने वाली खनस्यूं की गौला नदी का अस्तित्व संकट में है।
आने वाले भविष्य में बहुत बड़े खतरे की और कोई इशारा कर रहा है वहीं सामाजिक कार्यकर्ता एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य रवि गोस्वामी ने कहा कि जहां एक और शिवरात्रि के समय में नदियां सूखने लग गई थी दो दिन की वर्षा के बाद पुनहाना नदी रिचार्ज हुई जल स्रोत रिचार्ज हुए लेकिन मार्च के अंत तक नदियां सूखने की कगार पर हैं इसका यदि पर्यावरण पर चिंता नहीं की गई आने वाले समय में और भी ज्यादा बुरे परिणाम देखने को मिल सकते हैं सरकारों का ध्यान होना चाहिए एवं आम आदमी का कर्तव्य होना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षण में ध्यान दिया जाए ज्यादा से ज्यादा वृक्षों को लगाया जाए एवं चल खाल के माध्यम से जल संरक्षण किया जाए जहां एक और जल स्रोत सूख रहे हैं दूसरे और पर्यावरण की तरफ को जल संवर्धन के क्षेत्र में विशेष कार्य नहीं किया जा रहा है या तो वह खानापूर्ति हो रही है या फिर कागजों का पेट भरा जा रहा है…
पिछले 5 साल की तुलना में बात की जाए तो पहली बार ऐसा हुआ कि मार्च के महीने में नदियां सूखने लग गई है अभी तो जंगलों में आग लगना शुरू भी नहीं हुआ है यदि आग लगे तो बचे कुछ भी जल स्रोत सूख जाएंगे ऐसे में वन विभाग की क्या तैयारी है देखना रहेगा
एवं आम आदमी क्या जागरूकता करते हैं यह देखना अत्यंत आवश्यक है जंगलों पर ध्यान दें…
यह बहुत चिंताजनक है कि गर्मियों में ही हमें जल स्रोत नदियां जल संवर्धन की बातें याद आती हैं जबकि पूरे साल हम अन्य क्रियाकलापों पर व्यस्त रहते हैं क्योंकि उसमें पानी की उपलब्धता रहती है….
यह सब देखकर बहुत ही दुख हो रहा है कि आने वाले समय में ऐसी स्थिति रही तो 15 20 साल में गोला नदी का जलस्तर बिल्कुल शून्य हो जाएगा एवं पहाड़ों में पानी के लिए हाहाकार मचेगा
खनस्यूँ मुख्य गौला नदी के किनारे बसा गाँव हैं…
यह गंगोलीगाड़ पहाड़पानी की तलहटी से होकर निकलती हैं और बरेली तक जाती हैं… नदी के किनारे सैकड़ो गांव हल्द्वानी तक है जो कि सिर्फ गोला नदी के पानी पर निर्भर हैं,
समय के साथ-साथ मशीनरी एवं अन्य योजनाओं के अंतर्गत गोला नदी से पानी गांव गाँव के शिखर तक पहुंचा जा रहा है… सुविधा ठीक है ककिंतु जल संवर्धन हेतु कार्य करना अभी से आवश्यक है ताकि भविष्य में नदी की आयु को बढ़ाया जा सके…
अभी खुद किस्मत की बात है की कहानी जंगलों में आज नहीं लगी है यदि आग लगती है तो बच्चे कुछ जल स्रोत भी सूख जाएंगे और भीषण गर्मी होने के अंदेशा है… रवि गोस्वामी