नैनीताल – ड्रेजिंग के नाम पर राज्य में चल रहे खनन पर उत्तराखंड हाई कोर्ट सख्त है। हाईकोर्ट में ड्रेजिंग पॉलिसी को चुनौती मिली है जिस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ प्रदूषण बोर्ड को नोटिस जारी किए है और 3 हफ़्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि किन नियमों के तहत ये किया जा रहा है। आपको बतादें के हरिद्वार के मातृसदन ने राज्य के सरकार के ड्रेजिंग पॉलिसी को चुनौती देते हुए कहा है कि सरकार 2021 में राज्य में नई पॉलिसी लेकर आई जिसमें हाई कोर्ट से लेकर केंद्र सरकार के नियमों का खुला उलंघन किया गया है और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि ड्रेजिंग में नदी में आये मलवे को सिर्फ किनारों पर लगाया जा सकता है लेकिन यहां ड्रेजिंग के नाम पर पूरा खनन हो रहा है और इसको बेचा जा रहा है। याचिका कहा गया है पूरी नियमावली ठेकेदारों के लिए बनाई गया है। याचिका में मांग की है कि पॉलिसी को निरस्त किया जाए। मातृसदन के स्वामी ब्रह्मचारी दयानंद ने कहा कि सरकार ने 2006 के केंद्र सरकार के ड्रेजिंग पॉलिसी को बदलाव कर दिया जबकि केंद्र ने साफ कहा है कि मेंटिनेंस वर्क के लिए अनुमति नही लेकिन व्यावसायिक निर्माण के लिए लिए सीधे पर्यावरण अनुमति लेनी अनिवार्य होगी और सभी नियम लागू होंगे। दयानंद कहते हैं कि इस सब से परे सरकार ने इनमें बदलाव कर 2015 के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश को भी बाईपास कर दिया ,अब ड्रेजिंग के नाम पर चल रहे खनन के खेल पर उनको हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है।