सूर्यग्रहण के जीवन पर क्या पड़ते हैं प्रभाव..जानिए ज्योतिषाचार्य दिनेश त्रिपाठी जी से…
इस वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण आज रहा।जब धरती और सूर्य के बीच परिक्रमा करते हुए चंद्रमा आ जाता है तो इसे सूर्यग्रहण कहते है। लेकिन इस बार का सूर्य ग्रहण पृथ्वी के हर हिस्से से नहीं दिखाई दिया। लेकिन यह ग्रहण यूरोप व एशिया के कुछ देशों से ही नजर आया। उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों से आंशिक सूर्य ग्रहण का ही प्रभाव रहा।
उत्तराखंड में भी छोटे-बड़े सभी मंदिर किये गए बंद.. शाम को विशेष पूजा-अर्चना के बाद ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे…
सूर्य ग्रहण को लेकर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समित के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि 25 अक्तूबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण की वजह से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए हैं।जिसे सूर्य ग्रहण की अवधि समाप्त होने पर शाम को विशेष पूजा-अर्चना के बाद ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाएगा।भारत में यह सूर्यग्रहण का प्रभाव आंशिक 30%रहा।जबकि चाइना व रूस में यह 80% तक रहा।सूर्यास्त के साथ ही आज शाम यह ग्रहण पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डी.लिट् दिनेश त्रिपाठी जी की विशेष सलाह…
कुमाऊँ क्षेत्र के महामृत्युंजय मठ के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य श्री दिनेश त्रिपाठी के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ कास नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जो व्यक्ति इस दौरान बताई गई सावधानियां का ध्यान नहीं रखता उसे ग्रहण के दुष्प्रभावों का सामना निश्चित ही करना पड़ता है। क्योंकि ग्रहण काल में नकारात्मक व अनिष्टकारक तत्व जाग्रत हो जाते है।जिससे गर्भवती स्त्रियों सहित बच्चों व गर्भ धारण किये पशु भी बहुतायत में प्रभावित होते हैं।
त्रिपाठी जी ने बताया कि मन व बुद्धि तत्व के स्वामी सूर्य हैं।इसीलिए छोटे बच्चों में ब्रेन डिवेलपमेंट ऑर्गन बाधित हो सकते हैं।बुद्ध की नाड़ियां बाधित हो सकती हैं।जातक विवेक शून्य हो सकता है।उन्होंने बताया कि जिस जातक की कुंडली में अष्टम,द्वादश व षष्टम ग्रह में सूर्य होते हैं।उन्हें विशेष हानि होने की संभावना होती है।अगर षष्टम ग्रह में सूर्य विराजमान होंगे तो उस जातक के शत्रु प्रबल होंगे,मामा व ननिहाल पीड़ित होंगे।मतलब मारकेश की स्थिति सदैव हानिकारक ही मानी जाती है।इसका एकमात्र उपाय पूरा दिन सूर्य के प्रकाश में नही आना चाहिए।घर के भीतर ही रहना चाहिए।