पाषाण देवी मंदिर में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव ..रोगों से छुटकारा चाहते हों या कोई भी हो मनोकामना.. 18,19, व 20 जनवरी है विशेष…
देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे कई मंदिर हैं जहाँ भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।पाषाण देवी मंदिर सरोवर नगरी में झील किनारे ठंडी सड़क पर स्थित है।
स्थानीय लोगों की माने तो इस मंदिर की बहुत मान्यता हैं मान्यता है कि देवी भगवती हजारों वर्षों से इन पहाड़ी इलाकों की रक्षा कर रही हैं।ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में देवी के दर्शन मात्र से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
माता रानी को लहंगा चुनरी की जगह पहनाया जाता है सिंदूर का चोला…
पाषाण देवी मंदिर में देवी के 9 रूपों के एक साथ दर्शन होते हैं। यहां नैनी झील के किनारे एक चट्टान पर मां भगवती की आकृति उभरी हुई है। जो कि प्रकृति के द्वारा ही निर्मित है।ऐसी मान्यता है कि मातारानी हजारों वर्षों से यहां विराजकर पहाड़ी इलाकों की रक्षा कर रही हैं। मंदिर परिसर में ही नौ पिंडियां हैं। जिन्हें माता के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर में माता रानी को लहंगा चुनरी की जगह सिंदूर का चोला पहनाया जाता है।यूं तो यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। लेकिन नवरात्र में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
माँ के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना व दूर होते हैं चर्म रोग…मंदिर के पुजारी श्री जगदीश चंद्र भट्ट
इस प्राचीन मंदिर के पुजारी श्री जगदीश चंद्र भट्ट जी ने बताया कि गंभीर चर्म रोगों से जूझ रहे जातक भी यदि यहां आकर मां के दर्शन कर लें। और इसके बाद वह मां को स्नान कराए गये जल से नहा लें तो उनके सारे चर्म रोग दूर हो जाते हैं। श्री भट्ट जी ने बताया कि जनवरी 2023 में माँ पाषाण देवी मंदिर का तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव प्रारंभ हो जाएगा।इन तीन दिनों में माँ के दर्शन करना प्राणिमात्र के लिए बहुत लाभकारी होगा।