अपराधियों को राजनीति से दूर रखने के लिए बनाए गए जनप्रतिनिधि कानून के तहत राहुल गाँधी हुए क्लीन बोल्ड…

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राहुल की संसद सदस्यता खत्म होते ही चुनाव आयोग में मंथन शुरू..अप्रैल में हो सकता है वायनाड में लोकसभा उपचुनाव..काँग्रेस नेताओं का देश भर में उबाल…

मोदी सरनेम मामले में सूरत की कोर्ट ने वायनाड से लोकसभा सांसद काँग्रेस नेता राहुल गांधी को कल सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी।जिसके बाद एक्शन लेते हुए राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है।

“सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है”..कर्नाटक की एक सभा में राहुल गांधी के एक वक्तव्य पर सूरत कोर्ट द्वारा दो वर्ष की सुनाई गई सज़ा…

आपको बता दें कि लोकसभा सचिवालय ने सूरत कोर्ट के इस निर्णय के बाद संबंध में शुक्रवार को एक पत्र जारी किया है। राहुल गाँधी को सूरत की कोर्ट ने एक मानहानि मामले में कल उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। राहुल गाँधी ने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में फैसला दिया था कि अगर किसी जन प्रतिनिधि जैसे विधायक या सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा दी जाती है तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सजा के खिलाफ 2013 से पूर्व जो जनप्रतिनिधि ऊपरी अदालत में अपील कर चुके हैं उन पर उक्त नियम उन पर लागू नहीं होगा।

अभिव्यक्ति की आज़ादी व लोकतंत्र की हत्या- उत्तराखंड के वरिष्ठ काँग्रेस नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य…

उत्तराखंड से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने को अभिव्यक्ति की आज़ादी व लोकतंत्र की हत्या करार दिया।उन्होंने कहा कि जब राहुल को मामले में अगली कोर्ट में जाने का अधिकार था तो उन्हें लोकसभा सदस्यता से निष्काषित क्यों किया गया..?अपराधियों को राजनीति से दूर रखने के लिए बनाए गए जनप्रतिनिधि कानून का भी दुरूपयोग किया गया है।जबकि राजनीति में अपराधियों का वर्चस्व कम नही हुआ है।

क्या है जनप्रतिनिधि कानून..?

जनप्रतिनिधि कानून के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या इससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सांसद/विधायक सदस्यता रद्द हो जाएगी। इसके अलावा सांसद या विधायक जब अपनी सजा की अवधि पूरी कर लेंगे उसके 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि राहुल गांधी 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे..?

जनप्रतिनिधि कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट का 2 वर्ष या अधिक की सज़ा मिलने पर सांसद/विधायक की सदस्यता निरस्त करने का फैसले से जहां संसद और विधानसभाओं को अपराधियों से मुक्त करने में मदद मिलने की बात प्रमुख थी। वहीं यह आदेश उन राजनीतिक दलों के लिए भी सबक बताया गया था कि जो अपराधियों को सियासत की कुर्सी पर बिठाकर जनता का खैर-ख्वाह राजनेता बना देते हैं।लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि उक्त जनप्रतिनिधि कानून की धारा-8/4 के अनुसार सांसद, विधायक की सदस्यता तो तुरंत चली जायेगी।पर बड़ा सवाल अब भी यही बना हुआ है कि राजनीति में अपराधीकरण दूर करने के लिए बनाए इस कानून पर क्या किसी अपराधी पर भी कभी कार्यवाही की जाएगी..?