@डॉक्टर दलीप कुमार उप्रेती का करंट सिनेरियो ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया विषय पर व्याख्यान… ★डॉक्टर उप्रेती लाईकन बहुत छोटे है किंतु प्रकृति में बहुत महत्पूर्ण.. ★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल…

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@डॉक्टर दलीप कुमार उप्रेती का करंट सिनेरियो ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया विषय पर व्याख्यान…

★डॉक्टर उप्रेती लाईकन बहुत छोटे है किंतु प्रकृति में बहुत महत्पूर्ण..

★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल…

नैनीताल/ विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय तथा वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग के सेमिनार हाल में आज फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी एवम पूर्व निदेशक एनबीआरआई लखनऊ डॉक्टर दलीप कुमार उप्रेती ने करंट सिनेरियो ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया विषय पर व्याख्यान दिया। डॉक्टर उप्रेती फादर ऑफ लाइक्नोलॉजी इन इंडिया प्रो. डीडी अवस्थी के विद्यार्थी रहे । डॉक्टर उप्रेती ने कहा की लाईकन बहुत छोटे है किंतु प्रकृति में बहुत महत्पूर्ण रोल रखते है ।डॉक्टर उप्रेती ने कहा की लोअर आर्गेनिज्म की टैक्सोनोमी कठिन है तथा लाइकन को उसके आवास का अध्ययन कई विषय पर प्रकाश डालता है। डॉक्टर उप्रेती ने 150 नई लाइकन की प्रजाति खोजी है तथा 300 प्रजाति भारत से खोजी है।डॉक्टर उप्रेती ने खास की लाइकन शैवाल तथा फंगस का एसोसिएशन है जिसमें 142 शैवाल तथा फंगस के तीन ग्रुप शामिल है ।लाइकन मसाले के साथ दवा,स्पेस में भी प्रयुक्त होती है । विश्व का 15 प्रतिशत लाइकन भारत में मिलता है । लाइकन सक्सेशन का पहला चरण है जो रॉक को तोड़कर मिट्टी का निर्माण करता है ।लाइकन की 160 प्रजाति औषधिय रूप में प्रयुक्त होती है। उन्होंने कहा की वन विभाग ने मुनस्यारी में लाइकन गार्डन बनाया है ।लाइकन बायोमॉनिटरिंग का काम भी करते है तो क्लाइमेट चेंज को मापने में भी कारगर है ।
उन्होंने कहा लाइकन की विश्व में 20 हजार प्रजाति ज्ञात है जिसमें से भारत में 3029 प्रजाति में से 520 एंडेमिक है तथा अभी तक लाइकन का मात्र 14 प्रतिशत फ्लोरा ही ज्ञात है । लाइकन रंजक के रुपए भी प्रयुक्त होते है तो मसाले में भी उपयोग में लाया जाता है,उन्होंने कहा की 500 लाइकन की प्रजाति औषधिय है तो भारत में इनकी संख्या 160 प्रजाति की है। लाइकन 50 से ज्यादा रोगों में प्रयुक्त होते है । लाइकन छोटे जरूर है किंतु बायो मॉनिटरिंग , बायो रीमेडेशन, क्लाइमेट चेंज अध्यन में बहुत इंपोर्टेंट है ।इसमें शोध की बहुत गुंजाइश है । डॉक्टर दलीप कुमार उप्रेती पिथौरागढ़ जिले में पैदा हुए तथा लाइकन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोगिता पर उनका लंबा अनुभव है । कार्यक्रम का संचालन निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय प्रो. ललित तिवारी ने किया तथा डॉक्टर उप्रेती का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया ।विभागाध्यक्ष प्रो.एसएस बरगली ने डॉक्टर उप्रेती का स्वागत तथा अभिनंदन किया तथा कहा की डॉक्टर उप्रेती के ज्ञान से हमारे विद्यार्थी लाभान्वित हुए है ।डॉक्टर उप्रेती को शॉल उड़ाकर सम्मानित किया गया । डॉक्टर हिमानी कार्की नए डॉक्टर उप्रेती को स्वर्ग का पौधा परिजात भेट किया तो विद्यार्थी शिवांगी रावत नए हर्षित कुमार द्वारा बनाए गए डॉक्टर उप्रेती के पेंसिल स्केच को भेट किया । इस महत्वपूर्ण व्याख्यान में प्रो.किरण बरगली,प्रो. सुषमा टम्टा,प्रो. नीलू लोधियाल ,डॉक्टर सरस्वती बिष्ट , प्रो.अनिल बिष्ट,डॉक्टर कपिल खुलवे ,डॉक्टर हेम जोशी ,डॉक्टर हर्ष चौहान ,डॉक्टर नवीन पांडे ,डॉक्टर प्रभा पंत ,डॉक्टर हिमानी कार्की , डॉक्टर प्रतिभा रावल कुंजिका ,वसुंधरा ,दिशा उप्रेती ,गीतांजलि, किट्टू ,वर्तिका ,चारू ,रश्मि ,कृतिका ,रुचि ,डॉक्टर भूमिका ,आनंद कुमार ,पूजा गुप्ता सहित शोध छात्र,एमएससी तृतीय वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी उपस्थित रहे ।शीधार्थियो ने डॉक्टर उप्रेती से कई सवाल भी किए । वनस्पति विज्ञान विभाग में महिला कॉलेज की शोधार्थी रुचि जलाल ने पीएचडी की अंतिम मौखिक परीक्षा भी दी ।रुचि ने अपना शोध कार्य डॉक्टर सरस्वती बिष्ट के निर्देशन में पूर्ण किया है ।