@. गहरवाल खाम की आधी परिक्रमा और शुरू कर दी गई बग्वाल ,देखिये (वीडियो)…
★. क्या राजनीति की भेंट चढ़ रहा है बग्वाल ,, अराजक तत्व बिगाड़ रहे हैं बग्वाल का माहौल….
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”
देवीधुरा
मां बाराही धाम देवीधुरा में ऐतिहासिक बग्वाल अब भाषण बाज़ी फोटो सेशन अपने आप को मुख्यमंत्री का करीबी जताने कि जद्दोजहद कर रहे हैं यह सब कुछ देवीधुरा के राजकीय इंटर कॉलेज में बने हेलीपैड से लेकर मंच तक यह सब कुछ चलता रहा और राजनीति का अड्डा बनाने की सुगबुगाहट काफी पहले से हो रही थी। लेकिन बग्वाल मेले के दौरान इसे राजनीतिक कार्यक्रम बनाने की बात अब लोगों की जुबां पर आने लगी है।
बग्वाल यानी पत्थर युद्ध और बग्वाल युद्ध तभी संभव होता है जब चार खाम सात तोक के लोग एक दूसरे के सामने होते हैं। जो हर बार बग्वाल के दौरान देखा जाता था लेकिन इस बार बग्वाल में एक दल के लोग मैदान में पहुंचे ही नहीं थे कि बग्वाल युद्ध शुरू कर दिया गया। चार खाम यानी चार गुट सर्वप्रथम माँ वाराही की परिक्रमा करते हैं फिर चारों खाम मैदान में जुटते हैं। फिर चार खाम मिलकर दो गुट बनाते हैं और आमने सामने आते ही शुरू हो जाता है फल फूल अंतिम क्षणों में पत्थर युद्ध । लेकिन इस बार गहड़वाल खाम परिक्रमा करती रह गई और बग्वाल शुरू कर दी गई। गहड़वाल खाम के कुछ ही लोग बग्वाल का हिस्सा बन सके। अधिकांश लोगों को बिना बग्वाल खेले घर लौटना पड़ा। इससे बग्वाली वीरों का मनोबल टूटा है और व्यवस्थाओं पर सवाल उठा है। सबसे बुजुर्ग बग्वाली वीर 95 वर्षीय वयोवृद्ध खाम प्रमुख त्रिलोक सिंह बिष्ट की गहड़वाल खाम बिना बग्वाल खेले घर लौटी है। खाम प्रमुख त्रिलोक सिंह बिष्ट ने खाम के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी दीपक सिंह बिष्ट को दी थी। बग्वाल समापन के बाद मंदिर परिसर में बवाल तब मच गया जब 95 वर्षीय त्रिलोक सिंह बिष्ट के स्थान पर खाम का प्रतिनिधित्व कर रहे दीपक सिंह बिष्ट ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा बग्वाल उनका जन्मसिद्ध अधिकार है और उन्हें बग्वाल खेलने से कैसे रोका गया । आंखिर कैसे खाम के पहुंचने से पहले बग्वाल शुरू कर दी गई। पीठाचार्य ने सभी खाम प्रमुखों को बुलाकर इस मसले और विरोध को बमुश्किल शांत करवाया। दीपक सिंह बिष्ट ने कहा, बग्वाल को सफल बनाना हमारा मकसद होना चाहिए न कि राजनीतिक कार्यक्रम को । अतिथियों का स्वागत करना हमारा धर्म है लेकिन विश्व प्रसिद्ध बग्वाल को राजनीति का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा । भविष्य में बग्वाल के दौरान राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाए ।
आपको बता दें कि गहरवाल खाम के लोग सांस्कृतिक मंच के बगल में अपना विरोध कर रहे थे हो हल्ला देख मुख्यमंत्री भी अपनी कुर्सी से खड़े हो गए कहने लगे कि यह क्या हो रहा है वहीं कुछ छुटभैय्ए नेता आए और कहने लगे कि बग्वाल खोलीखांड दुबाचौड़ में खेली जा रही है उसे देखते हुए यहां भी लोगों में उत्सह है । यह उत्साह वाले कोई और नहीं ये गहरवाल खाम के रणबांकुरे थे।