@श्री नंदा देवी की पंच आरती सूर्य अस्त होने के बाद की जाती है…
★अरिष्ट , विपत्ति, कष्ट ,कलेश को हरती हैं ईश्वर की आरती…
★रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर” नैनीताल…
नैनीताल- श्री नंदा देवी की पंच आरती बहुत प्रसिद्ध है । पंच आरती सूर्य अस्त होने के बाद की जाती है । ईश्वर की आरती का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है । अरिष्ट , विपत्ति, कष्ट ,कलेश को हरती है ।आरती श्रद्धा ,आराधना ,ध्यान ,भावना का मार्ग है । आरती का अर्थ निराजना है जो अंधकार में प्रकाश दीप दिखाता है । आरती जलती लौ घी या तेल के साथ भिगाकर की जाती है । पंच आरती में पृथ्वी ,जल,प्रकाश ,वायु ,आकाश ,अंतरिक्ष को शामिल किया जाता है। आरती जल ,पुष्प ,वायु ,अग्नि , कपड़े के साथ इस आशय से की जाती है की ईश्वर हमारी जाने अनजाने की गए गलतियों के लिए क्षमा कर दे। आरती में कलश जिसमें सारे भगवान रहते है ,जल जो शुद्ध है ,नारियल जो सकारात्मक है ,सोना जो सकारात्मक है , ताबे की मुद्रा जो सात्विक लहरे देती है , सप्त नदियों का जल जो शुद्धता है ,पान सुपारी जो रजो गुण हरता है, साथ तुलसी जो पवित्र है को रखा जाता है । मन में ऊर्जा का प्रवाह करने के लिए आरती की जाती है । पंच आरती विश्व कल्याण के लिए की जाती है।पंच आरती के बाद हलुवा का प्रसाद जिसका अर्थ ही मीठा है को प्रसन्नता एवम आनंद के लिए दिया जाता है । प्रो ललित तिवारी ने बताया की पंच आरती सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाती है जो स्नेह ,निरोगता समृद्धि को बढ़ती है ।