@ओखलकांडा के पश्या कौंडार में पोषण मेले का किया आयोजन… ★. ब्लॉक प्रमुख व बाल विकास परियोजना अधिकारी ओखलकांडा ने की शिरकत… ★. पोषण मैदे में नहीं मोटे अनाज में है- पोषण मतलब स्वस्थ रहने की गारन्टी .- तुलसी बोरा… रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”…

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@ओखलकांडा के पश्या कौंडार में पोषण मेले का किया आयोजन…

★. ब्लॉक प्रमुख व बाल विकास परियोजना अधिकारी ओखलकांडा ने की शिरकत…

★. पोषण मैदे में नहीं मोटे अनाज में है- पोषण मतलब स्वस्थ रहने की गारन्टी .- तुलसी बोरा…

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”…

ओखलकांडा भीमताल: महिला कल्याण एवं बाल विकास परियोजना ओखलकांडा में पोषण मेले के अंतर्गत आयोजित ” किशोरी जागरूकता कार्यक्रम” में मुख्यअतिथि के रूप में ब्लॉक प्रमुख ओखलकांडा कमलेश कैड़ा और बाल विकास परियोजना अधिकारी तुलसी बोरा सम्मिलित हुई। ब्लॉक प्रमुख कमलेश कैड़ा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा बच्चे देश का भविष्य होते हैं और कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए गर्भाशय से ही बच्चे के पोषण पर ध्यान देने की जरूरत है ,जब बच्चा पोषण युक्त होगा तभी वह भविष्य में देश प्रदेश की जिम्मेदारी लेने के लिए सक्षम बनेगा और वह तब सक्षम बनेगा जब उसकी गर्भवती माता को सही पोषण मिलेगा । वही आजकल के खानपान पर बोलते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी तुलसी बोरा ने कहा पोषण फास्ट फूड में नहीं मिलेट्स में इसलिए स्वाद के लिए नहीं स्वास्थ्य के लिए सोचने की आवश्यकता है और हम अगर मोटे अनाज को अपने खान-पान का हिस्सा बना दें तब कुपोषण की लड़ाई कारगर साबित होगी। बोरा ने कहा प्रदेश सरकार भी सुपोषित भारत का संकल्प पूरा करने के लिए गर्भवती ,स्तनपान कराने वाली माताओं और बहनों के लिए तमाम जरुरी जागरूकता कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है। जिसके तहत लैंगिक समानता की दिशा में नंदा गौरा योजना के तहत बालिका के जन्म पर ₹11000 की धनराशि दी जा रही है और प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत बालक बालिक होने पर 5000 से 6000 तक की धनराशि दी जा रही है। बाल विकास परियोजना अधिकारी तुलसी बोरा ने बताया है पहले किट सिर्फ बच्चियों के जन्म पर दी जाती थी लेकिन अब प्रदेश में बच्चे के जन्म पर भी महालक्ष्मी किट वितरित की जा रहे हैं जो कहीं ना कहीं जच्चे और बच्चे को स्वस्थ बनाने की दिशा में एक सफलतम प्रयास है। क्षेत्रीय महिलाओं को संबोधित करते हुए तुलसी बोरा ने कहा मातृ दूध अपने आप में औषधि है और उसका कोई विकल्प नहीं है। मातृ दूध शिशु को कई बीमारियों से लड़ने के लिए सक्षम बना देता है। पहले महिलाएं 2 साल तक बच्चों को दूध पिलाया करती थी अब 6 महीने तक दूध पिलाना भी मुश्किल हो जाता है। यह चिंतित करने वाला विषय है । महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग का भी पोषण मेले में तमाम जागरूकता अभियान कार्यक्रम चलाने के लिए आभार जताया । इस दौरान ब्लॉक प्रमुख व बाल विकास परियोजना अधिकारी ओखलकांडा ने महिला कल्याण योजनाओं की लाभार्थी बहन , बेटियों को मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट, पोषण किट, स्वच्छ्ता किट और वैष्णवी किट वितरित किये।