@नैनीताल स्वर्गीय बड़ौनी जी के जन्म दिवस पर भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम…
★लोक संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर…
★रिपोर्ट- (चंदन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर ” नैनीताल…
नैनीताल- स्वर्गीय बड़ौनी जी के जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह बिष्ट का भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के छात्र छात्राओं ने पारंपरिक ढोल दमाँऊ और छोलिया नृत्य के साथ जोरदार स्वागत किया । वहीं प्रधानाचार्य बिशन सिंह मेहता ने मुख्य अतिथि का कुमांऊनी टोपी पहनाकर स्वागत किया।
इस दौरान छात्राओं ने कुमाऊनी लोकगीत पार्वती का मैत्यूड़ा देश प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में 60 छात्राओं के एक दल ने रंग बिरंगे कुमाऊंनी परिधान के साथ शानदार कुमाऊनी चांचरी सिलगड़ी का पाला चाला, मेरि हीरू रंगीला जैसे गीतों को प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।
कुमाँऊनी चाचरी को देखकर कुलपति ने विद्यालय के शिक्षकों , शिक्षिकाओं , अभिभावकों
और विद्यालय के बच्चों के साथ चांचरी में भाग लिया।कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह बिष्ट ने कहा लोक संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है इसका संरक्षण और संवर्द्धन करते हुए इसे पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जाना अति आवश्यक है।
प्रोफेसर दीवान सिंह बिष्ट ने शताक्षी मेहता द्वारा प्रशिक्षित छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कत्थक नृत्य, रंगकर्मी किशन लाल द्वारा निर्देशित चांचरी
और संगीत की अध्यापिका नेहा आर्या द्वारा कुमाऊंनी शगुन आंखर गायन शैली की सराहना की।
मुख्य अतिथि ने विद्यालय के फुटबॉल,बास्केटबॉल, हॉकी,क्रिकेट, वालीबाल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को सम्मानित किया।प्रथम बार डीएसए मैदान में उपविजेता बनी महिला फुटबॉल की खिलाड़ियों,
नेशनल कैडेट कोर के सर्वश्रेष्ठ 32 कैडेटों
विद्यालय के समस्त सांस्कृतिक कार्यक्रम के छात्र,छात्राओं एवं विद्यालय के उत्कृष्ट शिक्षकों को भी कुलपति ने प्रशस्ति पत्र वितरित किए ।उन्होंने
कुमाउँनी भाषा में कहा कि वह सन 1988 में एक सामान्य विद्यार्थी की तरह भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय के छात्र रहे हैं ।और इस विद्यालय ने उन्हें श्रेष्ठ अनुशासन की परंपरा दी जो आज भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है
उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे आगे बढ़ने के हर कठिन रास्ते की चुनौतियों को स्वीकार करें,आज विज्ञान और तकनीकी ने उन्नति के हर मार्ग में नई-नई राहें तैयार की हैं ।उन्होंने कहा हिंदुस्तान में रहने वाले लोग अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में बात करते हैं वहीं कुमाऊं एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ लोग अपनी कुमाउँनी भाषा बोलने में शर्म महसूस करते है ।उन्होंने कहा
सोशल मीडिया ने कुमाऊं की संस्कृति और पारंपरिक गीतों को आगे बढ़ाने का काम किया है,
अब सही वक्त है लोगों को शर्म छोड़कर खुले दिल से कुमांऊनी भाषा में अपने घरों में और घरों से बाहर भी बात करनी चाहिए ।
तभी हमारी नई पीढ़ी कुमांऊनी भाषा को बोल और समझ पाएगी ।हमें कुमाऊनी पत्रिकाएं घरों में पढ़नी चाहिए,
नहीं तो कुमाऊनी बोली धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा
विद्यालयों को कुमाऊनी बोली को बचाने के लिए आगे आना चाहिए,और इस दिशा में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय सराहनीय कार्य कर रहा है । इस लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध समाजसेवी वह हिमालय होटल के मालिक आलोक साह , समाज सेवी गीता साह ने सांस्कृतिक रंगमंच की सराहना की। विद्यालय के प्रबंधक एडवोकेट ज्योति प्रकाश ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान मीनू बुडलाकोटी, किशन लाल, शताक्षी मेहता अजय टम्टा, प्रवीण सती, आलोक साह ,डॉक्टर रेनू बिष्ट ,महेश, गोविंद बोरा,
दरबान सिंह ,मीनाक्षी बिष्ट,गीतिका नेगी, शाहनवाज,आलोक भट्ट,मंजू जोशी ,कविता उपाध्याय,गोदावरी ,आदि उपस्थित रहे ।