निकाय चुनावों को लेकर हाईकोर्ट का आदेश..चुनाव भी होगा जीत भी होगी लेकिन विशेष अधिकार नहीं नहींं….कोर्ट के फाइनल आदेश से मिलेगी पावर..चुनावआयोग सरकार से मांगा जवाब 3 मार्च का करें इंतजार

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नैनीताल – उत्तराखण्ड में नगर निकायों में आरक्षण मामले में हाई कोर्ट ने 5 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद आज अपना निर्णय दे दिया है। जस्टिस राकेश थपलियाल की कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य में निकाय चुनाव चल रहा है और इस वक्त चुनावों को रोका नहीं जा सकता है..हाईकोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने से इंकार किया है और कहा है कि जीते हुए उमीदवारों का रिजल्ट हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेगा..कोर्ट ने कहा है कि चुनाव परिणाम के बाद जब तक कोर्ट अपना अंतिम आदेश नहीं दे देती तब तक उनको विशेष अधिकार उत्पन्न नहीं होगें…सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को कहा कि आरक्षण के मामले पर कोई आदेश देने से पूरे चुनाव प्रक्रिया पर असर पड़ेगा..हाईकोर्ट अब इस मामले में 3 मार्च को सुनवाई करेगा..
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम को नोटिफाई तो किया लेकिन जो चुनाव को पहले नोटिफाई किया जाना था उसको अब तक भी नहीं किया गया..हांलाकि इससे पहले कोर्ट ने कई सवाल उठाए थे और पूछा था कि किस डेटा बेस पर आरक्षण दिया गया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये प्रथमदृष्टा संविधान के प्रावधानों का उलंघन है और रोटेशन और संसोधन का ध्यान रखा जाना चाहिए था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कुल पदों के समानुपात लिया जाना चाहिए था जो नहीं लिया गया। हालांकि सरकार ने आरक्षण को सही बताया और कोर्ट को बताया कि आरक्षण का क्रम सही दिया गया है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि कुल 45 नगर पालिकाएं हैं जबकि सरकार 43 में चुनाव करा रही है 2 को छोड़ दिया गया है जब तक सभी पालिकाएं उपलब्ध नहीं होती तब तक आरक्षण कैसा, आपको बतादें की अल्मोड़ा,गुप्तकाशी ,महुवा डाबरा, उत्तरकाशी,धारचूला द्वाराहाट, समेत 10 से 12 निकायों में आरक्षण को चुनौती मिली है। गुप्तकाशी की याचिका में कहा गया है कि पहलीबार नगर पंचायत बनी है वहां पर टोटल एससी वोटर कुल 527 हैं जहां एससी महिला देना गलत है। यहां अवरोही क्रम का भी ध्यान नहीं रखा गया। वहीं उत्तरकाशी की याचिका में कहा गया है कि इसी साल के आरक्षण में तीन बार बदलाव कर दिया गया है जो गलत है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि हाईकोर्ट का ये प्रारंभिक आदेश है और फाइनल आदेश नहीं है ऐसे में इससे लगता है कि ये रिजल्ट याचिका के अधीन रहेगा..अगर बाद में कोर्ट बाद में आरक्षण को गलत पाती है तो पूरा चुनाव भी निरस्त हो सकता है।