@कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा टॉपर्स कॉनक्लेव 2025 का आयोजन…
★प्रोफ़ेसर दीवान सिंह रावत विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पहला टॉपर्स कॉन्क्लेव..
★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर ” नैनीताल…
नैनीताल। इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा टॉपर्स कॉनक्लेव 2025 का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफ़ेसर दीवान सिंह रावत कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, विशिष्ट अतिथि प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट कुलपति एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा, डा0 मनीष कुमार नाजा निदेशक आर्य भट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑबजरबेशनल साईंसेज, नैनीताल, प्रो संतोष कुमार निदेशक, इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल शामिल रहे।
प्रोफ़ेसर दीवान सिंह रावत कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय ने कहा कि उत्तराखंड में किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पहला टॉपर्स कॉन्क्लेव है। इसका उद्देश्य प्रतिभाशाली छात्रों को प्रेरित करना, उनके सुझाव प्राप्त करना और छात्रों के साथ सीधा संवाद स्थापित करना था तथा शैक्षणिक उत्कृष्टता का सम्मान करना व भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को विकसित करना था। आज का यह टॉपर्स कॉन्क्लेव केवल एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण प्रेरणादायक अवसर है। यह उन छात्रों की मेहनत, लगन और संकल्प का उत्सव है, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से शैक्षणिक उत्कृष्टता हासिल की है। मैं आप सभी को इस शानदार उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
प्रो0 रावत ने कहा कि ज्ञान की इस यात्रा में आपकी उपलब्धियाँ न केवल आपके व्यक्तिगत विकास की निशानी हैं, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के उज्जवल भविष्य की नींव भी हैं। शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोचने, नया करने और समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाने का माध्यम भी है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय का यह प्रयास है कि हम अपने मेधावी छात्रों को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि नवाचार, अनुसंधान और नेतृत्व क्षमता से भी सशक्त करें।
प्रो0 रावत ने कहा कि आज का यह मंच आपको प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों से संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे आप अपने लक्ष्यों को और अधिक स्पष्ट रूप से निर्धारित कर सकें। मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा कि स्वर्ण पदक या उच्च अंक प्राप्त करना ही सफलता का अंतिम पड़ाव नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है। आपके ज्ञान और प्रयासों का सही उपयोग तभी होगा जब आप अपने समाज, देश और दुनिया के कल्याण के लिए इसे समर्पित करेंगे। हमेशा बड़े सपने देखें, निरंतर सीखते रहें और कभी भी अपने प्रयासों को कम न करें। आपकी मेहनत और समर्पण ही आपके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेंगे। कुमाऊँ विश्वविद्यालय हमेशा आपके साथ खड़ा है, आपको प्रोत्साहित करता रहेगा और आपकी सफलता में भागीदार बना रहेगा।जिसमें कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा छात्रों का आहवान किया गया कि वे भविष्य में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद समाज में सार्थक योगदान देने का संकल्प लेंगे। यह कार्यक्रम का उददेश्य टॉपर्स के भविष्य के शैक्षणिक प्रयासों का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देगा। उन्होंने बताया कि छात्रों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए विश्ववद्यालय द्वारा विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके अन्तर्गत उन्हें ई बुक्स उपलब्ध कराई जा रही है, छात्र छात्राओं के लिए टैलेंट हंट कार्यक्रम करवाए गए साथ ही लाइब्रेरी चौंपियन जैसे पुरस्कार भी स्थापित किये गये हैं। उन्होंने बताया कि बायो-फ्लक्स के माध्यम से जंतु विज्ञान के छात्रों के लिए पॉन्ड्स बनवाए गए व हर्बल प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर भीमताल में खोला गया। इस अवसर पर प्रो0 रावत ने कहा कि विश्ववद्यालय द्वारा यू0जी0 व पी0जी0 के छात्र छात्राओं के लिए अच्छे जर्नल में शोध पत्र प्रकाशित करने पर 25 हजार रूपये की धनराशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. सतपाल बिष्ट जी ने टॉपर्स कॉन्क्लेव के दौरान विद्यार्थियों को समय प्रबंधन और गुणवत्तापूर्ण समय के महत्व पर प्रेरणादायक संबोधन दिया। उन्होंने छात्रों को बताया कि सफल होने के लिए स्व-प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए समय का सही उपयोग करना आना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने रुचि क्षेत्र के अनुरूप कार्य करने और उसमें नवाचार व प्रेरणा बनाए रखने की सलाह दी।
प्रो. बिष्ट ने छात्रों को समझाया कि जीवन में अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा प्लान ए पर ही पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर प्लान बी को अपनाना चाहिए। उन्होंने चेताया कि बहुत अधिक विकल्प रखने से व्यक्ति अपने मुख्य लक्ष्य से भटक सकता है और सफलता के साथ समझौता करना पड़ता है। इसलिए, छात्रों को चाहिए कि वे एक दृढ़ संकल्प के साथ अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ें और पूरे समर्पण के साथ कार्य करें।
अपने संबोधन में प्रो. बिष्ट ने छात्रों को नियमित रूप से पुस्तकें पढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि पुस्तकें व्यक्ति को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं और जीवन में गहरी अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायक होती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को यह भी बताया कि एक शिक्षित समाज के निर्माण में ज्ञान अर्जन और अध्ययन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रो. बिष्ट ने छात्रों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहने का भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को अपने शैक्षणिक क्षेत्र के साथ-साथ अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को भी आत्मसात करना चाहिए, ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।
अंत में, उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे कड़ी मेहनत, अनुशासन और समर्पण के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ें। उन्होंने छात्रों को समय का मूल्य समझने, लक्ष्य निर्धारित करने और दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करने का संदेश दिया। उनका यह प्रेरणादायक संदेश छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्ध होगा।
एरीज (आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान) के निदेशक डॉ. मनीष नाजा ने विद्यार्थियों को मेहनत, लगन और अनुशासन के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्त करने के लिए न केवल तकनीकी ज्ञान बल्कि नैतिक मूल्यों और संस्कृति का संरक्षण भी आवश्यक है।
डॉ. नाजा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिमी सभ्यता से हमें उनकी उन्नत तकनीकों को सीखना चाहिए, लेकिन अपने संस्कार और संस्कृति की जड़ें भारतीय परंपराओं से ही लेनी चाहिए। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए बताया कि जापानी लोग विज्ञान और तकनीक में अग्रणी होने के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी पूरी निष्ठा से संजोकर रखते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को आगाह किया कि अपनी संस्कृति को भूलना उचित नहीं है, बल्कि इसे सहेजना और आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।
डॉ. नाजा ने छात्रों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि वे अपने प्रयासों से अपने विश्वविद्यालय और समाज के विकास में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र केवल अपनी व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रहें, बल्कि अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज और देश के उत्थान के लिए करें। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में धैर्य बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और छात्रों को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से सदैव दूर रहने की सलाह दी।
डॉ. नाजा ने छात्रों को याद दिलाया कि व्यक्ति का व्यवहार उसकी कार्यशैली में गहरा प्रभाव डालता है। सकारात्मक दृष्टिकोण और अनुशासन के साथ काम करने वाले व्यक्ति न केवल अपने कार्यक्षेत्र में सफल होते हैं, बल्कि समाज में भी एक मिसाल कायम करते हैं। उन्होंने छात्रों से सदैव विनम्र, मेहनती और उद्देश्यपरक दृष्टिकोण रखने का आग्रह किया।
डॉ. नाजा ने छात्रों से ग्लोबल वार्मिंग के खतरे और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर विशेष ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने हिस्से का पर्यावरण अवश्य संरक्षित करना चाहिए। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाए।
अपने प्रेरणादायक संदेश के अंत में डॉ. नाजा ने छात्रों से मेहनत, अनुशासन, और सकारात्मक सोच को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यदि छात्र अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे, धैर्य बनाए रखेंगे और समाज की भलाई के लिए कार्य करेंगे, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि अपने देश के लिए भी गौरव का कारण बनेंगे।
प्रो संतोष कुमार निदेशक, इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल द्वारा कायक्रम में अतिथियों का स्वागत किया गया और कार्यक्रम की रूपरेखा के विषय में अवगत कराया गया।
इंटरेंक्टिव सत्र में टॉपर छात्रों में से प्रतीक गोस्वामी, दीपक चंद्र, युक्ता अधिकारी, भानुप्रिया पाठक, गुलफिका शेख, शालिनी, अदिति जोशी, अंजलि ओली, महक, आकांक्षा पंत, उमंग जोशी द्वारा प्रश्न पूछे गये।
कार्यक्रम का संचालन, आईक्यूएसी के सदस्य डॉ रीतेश साह द्वारा किया गया कार्यकम में डा0 एम0एस0 मन्द्रवाल, कुलसचिव कुमाऊं विश्वविद्यालय, निदेशक डी. एस. बी परिसर प्रो0 नीता बोरा शर्मा , अधिष्ठाता विज्ञान चित्रा पांडे, प्रो0 ज्योति जोशी, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र, प्रो0 चंद्रकला रावत विभागाध्यक्ष इतिहास संजय घिल्डियाल, प्रो0 गीता तिवारी, डा0 नन्दन बिष्ट डा0 मनीषा त्रिपाठी, प्रो0 अमित जोशी, डॉ सुरेश पांडेय, सहायक कुलसचिव ब्रजमोहन सिह फर्सवाण, राकेश कुमार विश्वकर्मा, एल0डी0 उपाध्याय, पंकज भट्ट ,अभिषेक मेहरा, राहुल नेगी, हिमांशु महरा आदि उपस्थित थे।