@सराहनीय कदम.. ★उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा तपेदिक रोगियों को पोषण किट वितरण कार्यक्रम.. ★रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर” नैनीताल..

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नैनीताल। उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल की टीम ने आज सुयालबाड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तपेदिक (टीबी) रोग से ग्रस्त मरीजों के स्वास्थ्य लाभ एवं पोषण के उद्देश्य से पोषण किट का वितरण किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 दीवान एस रावत के दिशानिर्देशों के क्रम में किया गया। यह उल्लेखनीय है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा किये जा रहे सामाजिक सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत ने आठ तपेदिक रोगियों को गोद लिया है, जो स्वास्थ्य लाभ की प्रक्रिया में हैं। इन मरीजों को उचित पोषण एवं स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 दीवान एस रावत ने बताया कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य के अनुरूप है, जिसमें वर्ष 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान के तहत टीबी रोगियों को निःशुल्क इलाज, पोषण सहायता और व्यापक देखभाल उपलब्ध कराया जाना है। कुमाऊं विश्वविद्यालय भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज के कमजोर वर्गों को सहायता एवं सहयोग प्रदान करता रहेगा। विश्वविद्यालय का उद्देश्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में टीबी उन्मूलन के लिए व्यापक प्रयास किए जाएं, जिससे वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को साकार किया जा सके।
कार्यक्रम के दौरान तपेदिक रोग से ग्रस्त मरीजों को उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पोषण किट वितरित की गईं। इस अवसर पर उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के समन्वयक प्रोफेसर अनिल कुमार बिष्ट ने कहा कि उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत कुमाऊं विश्वविद्यालय, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और जनस्वास्थ्य में सुधार के लिए भी कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि पोषण किट वितरण का उद्देश्य तपेदिक रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करना है, ताकि वे जल्द स्वस्थ होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें। उचित पोषण तपेदिक के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इस पहल से रोगियों को न केवल शारीरिक बल मिलेगा बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें संबल मिलेगा।
श्री आर.एस. दरमवाल ने डॉट्स कार्यक्रम (डायरेक्टली ऑब्ज़र्व्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट-कोर्स) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस पहल से तपेदिक रोगियों को दवाई के साथ-साथ पोषण की भी आवश्यक सहायता मिल रही है, जो उनके शीघ्र स्वस्थ होने में सहायक होगी।
कुमाऊं विश्वविद्यालय की यह पहल ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय कदम है। विश्वविद्यालय भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज के कमजोर वर्गों को सहायता एवं सहयोग प्रदान करता रहेगा।
कार्यक्रम में उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के समन्वयक प्रोफेसर अनिल के. बिष्ट, डॉ. जितेन्द्र कुमार लोहनी एवं डॉ. ललित मोहन ने विशेष रूप से भाग लिया। इस आयोजन में डॉट्स के सुपरवाइजर श्री आर.एस. दरमवाल का सराहनीय सहयोग रहा।