धर्म विशेष की लड़की अपने ही परिवार द्वारा संपत्ति की लालच में बरसों से हुई पारिवारिक प्रताड़ना की शिकार..मज़हब की दीवार लांघ कर अपनाया हिन्दू धर्म…

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मज़हब की दीवार लांघ कर रौशन बानू ने अपनाया हिन्दू धर्म..संपत्ति की लालच में बरसों से पारिवारिक प्रताड़ना मिलना बना कारण…

उत्तराखंड की सांस्कृतिक संस्कृति संजोय अल्मोड़ा शहर में विगत 50 वर्षों से अधिक समय से बशीर अहमद का परिवार रहता है।सब्जी मंडी अल्मोड़ा में वो मीट बेचने का कारोबार करते हैं।बशीर अहमद के चार बच्चे हैं जिसमें सबसे बड़ी बेटी रौशन बानू 32 वर्ष हैं।शुरू से ही पढ़ाई में तेज रही रौशन बानू की सरकारी नौकरी वर्ष 2012 में हवालबाग में लग गई। रौशन बानू रानीखेत गोबिंद सिंह मेहरा राजकीय चिकित्सालय में पिछले सात सालों से नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं।बड़ी बेटी का सरकारी नौकरी में चयन होने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर बशीर अहमद व परिवार बहुत खुश हो गया।उसके बाद घर खर्च व छोटे भाई बहनों की पढ़ाई की जिम्म्मेदारी रौशन बानू पर डाल दी गई।जिसका रौशन बानू ने पूरा सम्मान करते हुए इस जिम्मेदारी को उठाया।और सभी बहनों व भाई की पढ़ाई में भरपूर धन खर्च किया। फिर परिवार जनों द्वारा अधिक धन वसूली के लिए उनका मानसिक प्रताड़ना का दौर शुरू हो गया।वर्ष 2019 में रौशन बानू ने अपनी बचत से कुमाऊँ प्रवेश द्वार हल्द्वानी-काठगोदाम में एक भवन खरीद लिया।जिसके लिए परिवारजनों द्वारा इसकी रजिस्ट्री उनके भाई साजिद के पक्ष में करने का दबाव बनाया जाने लगा।और फिर भाई व परिवार ने रौशन बानू से मारपीट कर सामाजिक व मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया।और भाई साजिद द्वारा उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई।बकौल रौशन बानू परिवार ने कहा कि तुम्हे जीवन हमने दिया है तो मौत भी हम ही देंगे।इससे दुःखी होकर रौशन बानू ने मामले की शिकायत पुलिस में कर दी।जिस पर उनके पिता व परिवारजनों द्वारा 21अक्टूबर 2020 में क्षमा याचना का पत्र पुलिस को सौंपा गया।और कहा गया कि अब परिवार की ओर से रौशन बानू को कभी परेशान नही किया जाएगा।और जो कत्ल करने की बात कही थी उस पर भी क्षमा माँगी गई।

धर्म विशेष की प्रताड़नाओं से परेशान होकर रौशन बानू ने हिन्दू धर्म मे जताई आस्था..और बनी रौशनी..अपने मज़हब की तिरिष्कृत महिलाओं को भी दिखा रही आईना…

रौशन बानू के मुताबिक जब परिवार से शारीरिक यातनाओं और मानसिक उत्पीड़न बहुत ज्यादा बढ़ गया।और परिवार द्वारा उनसे संबंध विच्छेद करने का दबाव बनाया गया तो उन्हें ऐसे धर्म से ही नफ़रत होने लगी जहाँ महिलाओं की कोई इज़्ज़त नही होती। महिलाओं को केवल गुलाम ही समझा जाता है।उन्होंने 4 दिसंबर 2022 को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी जाकर शुद्धि यज्ञ के द्वारा हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया।और अपना नाम रौशनी रख लिया।लेकिन अब भी नाते-रिश्तेदार उनकी धर्म व परिवार वापसी के लिए उनके पास आकर दबाव बनाते रहते है।बकौल रौशनी अब उन्हें जान का ख़तरा ज्यादा हो गया है।जबकि वो अपने परिवार से संबंध पूरी तरह से खत्म कर चुकी हैं। रौशनी कहतीं है कि जिस मज़हब व परिवारों में लड़कियों का कोई सम्मान नही किया जाता है। उसमें क्यों अपना समय व्यर्थ किया जाय इसलिए मैंने स्वयं सामने आकर धर्म के आडंबर को तोड़ कर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया।और मजहबी बहनों को भी प्रताड़ना सहन न कर स्वहित में फैसले लेने के लिए आहूत किया है।अब अपने प्रोफाइल पर रौशनी भगवान विष्णु व महान हिन्दू विचारक व आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी का चित्र लगाती हैं।और कहती हैं कि हिन्दू धर्म में महिलाओं को बहुत सम्मान दिया जाता है।इसीलिए अत्यधिक पारिवारिक उत्पीड़न होने पर उन्होंने मज़हब की दीवार ही तोड़ डाली।हिन्दू बन अब रौशनी अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।लेकिन किसी अनहोनी की आशंका के चलते व मज़हबी आक्रांताओं से वह बहुत डरी व सहमी हुई लग रही है।