उत्तराखंड की बड़ी स्वीट शॉप्स में बिक रही मुर्गी दाने से बनी सिंथेटिक मिठाईयां..? सालों से बन रही यहाँ पर ये ख़तरनाक मिठाईयां..कोई नही है सुधलेवा…
डिटर्जेंट वाली मिलावटी मिठाई हो या नकली मावे से तैयार मिठाई,दोनों की चर्चा केवल दीपावली व अन्य त्योहारों के समय ही होती है।ऐसा नही है कि फ़ूड सेफ्टी के लिए केवल त्यौहारी सीज़न में ही राज्यों में टीमों का गठन होता है।दरअसल सभी राज्य सरकारें प्रत्येक शहर में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति करता है।लेकिन ये अधिकारी साल भर गहरी नींद में इसलिए सो जाते है कि मिठाई के बड़े कारोबारी इन अधिकारियों की जेब भरपूर गर्म कर देते हैं..?इसीलिए ये मिठाई कारोबारी जहर मिली मिठाइयों को सर्वसुलभ करा कर मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं।और सबको खुश रखते हैं।
वेजिटेरियन फ़ूड खाने वाले भी खा रहे हैं..सूखी मछली मिक्स मुर्गी दाने से बनी मिठाइयाँ…
दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के शहदौरा की जहाँ पिछले दिनों हुई छापेमारी के दौरान मुर्गी दाने से डोडा मिठाई बनाये जाने का मामला प्रकाश में आया है। सटीक मार्केटिंग प्लानिंग के जरिये इन मिठाइयों को रुद्रपुर, किच्छा,सितारगंज व कुमाऊँ प्रवेश द्वार हल्द्वानी तथा पहाड़ों पर भी भेजा जाता है।हल्द्वानी की भी प्रतिष्ठित स्वीट शॉप्स में ये मिठाई धड़ल्ले से बिकना बताया गया है। पिछले 9 वर्षों से यहाँ बन रही मिठाई को बड़ी-बड़ी स्वीट शॉप्स में बेचा जाता है।और अनभिज्ञता के चलते आमजन इन मिठाइयों को खाकर अपना जीवन संकट में डाल लेता है।और बड़ी बीमारियों व संक्रमण का खतरा हमेशा मोल ले लेता है।राजधानी देहरादून व कुमाऊँ प्रवेश द्वार हल्द्वानी में भी ऐसे मिलावटखोरों को चिन्हित कर इनके ख़िलाफ़ कठोर कार्यवाही करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।लेकिन वास्तविकता में इन मिलावटखोरों पर कोई कार्यवाही हो पाएगी यह बड़ा सवाल बना हुआ है..?
अगर किसी भी रूप में इंसानी शरीर में जायेगा..मौत से रूबरू कराएगा मुर्गी दाना..एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट हो जाएगी ह्यूमन बॉडी..मतलब सुपर बग का खतरा…
मुर्गी दाने में क्या-क्या मिलाया जाता है इसके लिए हमने बात की हल्द्वानी के वरिष्ठ वेटनरी डॉ.अनुज अग्रवाल से,जो कि रामपुर रोड हल्द्वानी में पिछले 25 वर्षों से पैट केअर क्लिनिक चलाते हैं।डॉ.अनुज अग्रवाल ने बताया कि वैसे तो मुर्गी दाना ₹24 प्रति किलो से शुरू हो जाता है।अमूमन मुर्गी दाने में गेहूं,कॉर्न,चिनियाबादाम की खली, सूखी मछली का पाउडर,चोकर,चूने का पत्थर,नमक, चावल की कनकी इत्यादि मिला कर बनाया जाता है।इन सभी इंग्रीडिएंट्स से इंसानों को ज्यादा नुकसानदेह नही है।बस सूखी मछली का पाउडर नॉन वेज इंग्रीडिएंट है।जिसे मिठाई में प्योर वेज खाने वाले लोग भी खाते हैं। पर सस्ते मुर्गी दाने में शायद सूखी मछली का पाउडर न के बराबर डाला जाता हो पर मुर्गियों के सही पाचन के लिए उसमें एन्टी डायरल, एंटीकोकसीडिया व एन्टी फंगल एजेंट जरूर डाला जाता है।जो कि मानव के पाचन तंत्र के लिए तो हानिकारक है ही साथ ही अनेक बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।अगर इसमें यूरिया का भी इस्तेमाल किया गया है तो मानव तंत्र से छेड़छाड़ होगी साथ ही अनेक बीमारियों को भी निमंत्रण होगा।
हमने संदर्भ में हमने हल्द्वानी के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नीलाम्बर भट्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि अनावश्यक रूप से ह्यूमैन बॉडी में एंटीबायोटिक एजेंट्स को डालने से बॉडी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट हो जाती है।जिसे सुपर बग भी कहा जाता है। धीरे-धीरे एंटीबायोटिक दवाएं अपना अस्तित्व खो देती हैं।और मर्ज लाइलाज़ होने लगते हैं व मृत्युदर बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है।डॉ. नीलाम्बर भट्ट ने खाद्य सामग्रियों विशेषकर मिठाई में ऐसे तत्वों को मिलाए जाने पर कहा कि यूरिया व अन्य दवाएं जो अनावश्यक रूप से मानव के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव छोड़ सकती हैं।जिससे किडनी व लीवर भी भयंकर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।