रेलवे भूमि प्रकरण..दहशत में हैं बनभूलपुरा के निवासी..रातों की नींद हो रही गायब…
उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अवैध ढंग से बसाई गई बड़ी बसावट बनभूलपुरा की सर्वोच्च अदालत में 7 फ़रवरी की तारीख़ है।आपको बता दें कि पिछले 20-25 वर्षों से यहाँ बड़ी संख्या में बाहरी लोग आकर इस क्षेत्र में रहने लगे हैं। लेकिन राज्य प्रशासन ने भी सभी निवासियों के दस्तावेज भी जाँच लिए हैं।और वन विभाग, राजस्व व नगरनिगम की भूमि की पैमाइश का कार्य भी लगभग निपटा लिया है।हालांकि सर्वोच्च अदालत में कल की तारीख़ में कुछ विशेष नही होना है पर रेलवे विभाग व राज्य सरकार की संबंध में दाख़िल जवाब बहुत अहम भूमिका निभाने वाला साबित होगा।
दस्तावेज है कम के पास पर केवल लंबे समय से अवैध कब्जेदार हैं अधिक…
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में संबंध में आठ याचिकाएं चल रहीं हैं।जिसमें लीज़ भूमि,शत्रु संपत्ति व नजूल भूमि जो कि फ्री होल्ड करवा ली गई थी प्रमुख थी। इसके अतिरिक्त बाकी सभी अवैध कब्जेदार ही उक्त भूमि पर काबिज़ हैं।यह बात भी सच है कि वोट बैंक के फेर में देश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने यहाँ के निवासियों को सभी जरूरी सुविधाएं दी हैं पर संवैधानिक रूप से यहाँ के निवासियों के बीच अपने घर छिन जाने का भय लगातार बना हुआ है।क्योंकि यह भूमि चाहे वन विभाग की हो या राजस्व,नगरनिगम की भूमि हो उस पर इन निवासियों को स्वामित्व साबित नही हो सकता है।बस वैध दस्तावेज जिनके पास होंगे,केवल उन्हीं के उनके पुनर्वास का आदेश सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को देता है या जद में आने वाले सम्पूर्ण निवासियों को पुनर्वास का फैसला संदर्भ में आता है।यह तो आने वाला समय ही बताएगा…?