उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा खनन घोटाले में आर.टी.आई एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर भारत सरकार को अपना जवाब दाखिल के निर्देश..सर्वोच्च अदालत में राज्य सरकार की एस.एल.पी पहले ही हो चुकी है ख़ारिज…

269

उत्तराखंड में करोड़ों के खनन घोटाले की निष्पक्ष जाँच मामले में हाई कोर्ट ने दिया कड़ा निर्देश..सर्वोच्च अदालत में राज्य सरकार की याचिका पहले हो चुकी है ख़ारिज…

उत्तराखंड में गलत खनन नीति के कारण हजारों करोड़ के खनन घोटाले की जांच राज्य सरकार के प्रभाव से मुक्त किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी/सी.बी.आई से कराए जाने की मांग वाली गौलापार हल्द्वानी निवासी आर.टी.आई एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड ऋतु बाहरी की खंडपीठ के समक्ष हुई।सुनवाई में हाईकोर्ट द्वारा भारत सरकार को अपना जवाब दाखिल के निर्देश दिए गए है। तथा राज्य सरकार व सी.बी.आई द्वारा दाखिल काउंटर पर प्रतिउत्तर दाखिल करने के निर्देश देते हुए सुनवाई के लिए अगली तिथि 3 जुलाई 2024 निर्धारित कर दी है।
आपको बता दें कि आर.टी.आई एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी की जनहित याचिका दायर होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की खनन नीति को घोटाला मानने के संबंध में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द करने हेतु सुप्रीम कोर्ट में एक एस.एल.पी दायर कर दी। परंतु सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार की 9एस.एल.पी को खारिज करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था।

राज्य की सभी जांच एजेंसीयां व विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है इसलिए याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी द्वारा  स्वतंत्र जांच एजेंसी सी.बी.आई से इस घोटाले की जांच की मांग की गई…

जनहित याचिका में याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी ने कहा की तत्कालीन सरकार की गलत नीति के कारण राज्य के राजकोष को 2000 करोड़ से ज्यादा की हानि हुई है। अक्टूबर 2021 में तत्कालीन धामी सरकार ने उत्तराखंड राज्य की खनन नीति में एक बड़ा परिवर्तन किया था। यह संशोधन 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले किया गया था। जिसे सितंबर 2022 में नैनीताल हाईकोर्ट ने 2G स्पैक्ट्रम की तरह राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन/घोटाला मानते हुए इसे रद्द कर दिया था। RTI से प्राप्त आंकड़ों से जानकारी सामने आई कि खनन नीति में हुए इस परिवर्तन के कारण उत्तराखंड राज्य के राजकोष को 2000 करोड़ से ज्यादा की चपत लगी है।याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस घोटाले के दोषियों के विरुद्ध राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त जांच एजेंसी सी.बी.आई से इस घोटाले की जांच की जाय।आज नैनीताल हाईकोर्ट ने सी.बी.आई व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा। अपने काउंटर में सी.बी.आई ने कोर्ट के आदेश पर मामले में जांच करने की सहमति भी दी है।