नैनीझील में छोड़ी गई “टाइगर ऑफ वाटर” फिश..इसमें पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की होती है शक्ति…
नैनीझील में पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने को लेकर झील में 10 हजार मछलियां छोड़ी गई हैं। मत्स्य विभाग पंतनगर के सहयोग से नैनीताल डीएम धीराज गर्ब्याल ने झील में महाशीर मछलियों को छोड़ा गया है। इस दौरान पंतनगर के वैज्ञानिकों के साथ जिले के अधिकारी मौजूद रहे। आपको बता दें की नैनीताल झील में पानी की गुणवत्ता पिछले दो साल में बेहतर हुई है और डीजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से 8 मीटर तक ऑक्सीजन बढ़ी है। वहीं डी.एम ने कहा कि नैनीझील के कॉमन कार्प की संख्या 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। जिनको चरणबध्द तरीके से निकाला जाएगा।और जल्द ही इन्हें झील से निकालने के लिए टेंडर निकाले जाएंगे।
जिलाधिकारी गर्ब्याल ने जहाँ कॉमन कार्प की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई वहीं महाशीर की संख्या बढ़ाने की बात भी की..
आपको बतादें की महाशीर मछली साफ पानी की मछली है और इसे “टाइगर ऑफ वाटर” भी कहा जाता है और ये पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करती है।इसीलिए नैनी झील में प्रतिवर्ष पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए “महाशीर” मछलियों के बीज डाले जाते हैं।
नैनीताल जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने कहा कि पहले भी झील में सिल्वर व कॉमन कार्प एवं महाशीर मछलियॉ झील में डाला गया था। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने बताया कि कॉमन कार्प प्रजातियों की मछलियॉ पानी के अन्दर प्रजनन करती हैं। जिससे झील को नुकसान हो सकता है। वर्तमान में झील में ये कॉमन कार्प 67 प्रतिशत हो चुकी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए व वैज्ञनिकों की सलाह पर झील में कॉमन कार्प मछलियों को सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे है। तथा आगे भी चरणबद्व रूप से अन्य झीलों में भी महाशीर मछलियों को डाला जायेगा।
आगे भी होते रहेंगे ऐसे आयोजन-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान भीमताल के निदेशक पी.के. पाण्डे
शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान भीमताल के निदेशक पी.के. पाण्डे ने बताया कि यह कार्यक्रम पूरे देश में चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य महाशीर मछलियों को बढ़ावा देने का है।उन्हें संरक्षित करना है। इसी उद्देश्य से आज नैनीताल झील में महाशीर मछलियों के बीज को डाला गया है।उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम आगे भी आयोजित किये जाते रहेंगे।