गैरों में हैं जो शाद, उन्हें बकरीद मुबारक…..देश में ईद उल अजहा की धूम कुर्बानी ऐसे करें की ना हो पड़ोसी को परेशानी…देश में अमन शांति और भाईचारे का नैनीताल से मुफ्ती ने दिया संदेश..इस लिये करते हैं कुर्बानी इसके पीछे की कहानी..

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नैनीताल – आज ईद उल अजहा यानी बकरीद की पर्व है पूरे देश में इस पर्व को आज मनाया जा रहा है । नैनीताल में मुसलमान समुदाय के लोगों ने बकरीद के मौके पर जामा मस्जिद में ईद की नमाज अदा की और शहर के साथ देश की खुशहाली की कामना की है। इस दौरान मुफ्ती ने सभी लोगों को संदेश दिया कि वो ऐसा काम करें की दूसरों को दिक्कतें ना आए..मस्जिद से कहा गया है कि जो कुर्बानी करें उसका पड़ोसी को भी कोई परेशानी ना हो..नमाज के बाद सभी लोगों ने एक दूसरे को ईद की बधाई दी है। जामा मस्जिद के नए मुफ्ती अजमल ने कहा कि उन्हौने अमन भाईचारे और शांति का संदेश दिया गया है ताकि लोग प्यार से एक साथ रहें और मुल्क में हमदर्दी रखें और एक दूसरे के काम आएं..आपको बतादें कि बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है और दुनियाभर के मुसलमानों द्वारा पैगंबर इब्राहिम के बलिदान को याद करते हुए आज के ही दिन बकरे की कुर्बानी करते हैं।

क्यों होती है कुर्बानी..क्या है इसके पिछे की कहानी…

दरअसल ईद उल अजहा या बकरीद ईद उल फितर के करिब दो महिने बाद मनाया जाने वाला बड़ा पर्व है..और इस्लामिक कैलेंड़र के तहत ईद उल अजहा साल के आखिरी महिने यानी 12वें महिने में आता है। ईद उल अजहा के पीछे कहानी है कि एक बार हजरत इब्राहिम को अल्लाह ने सपने में हुक्म दिया था कि वह अपने लाड़ले बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान कर दें।
लेकिन यह हजरत इब्राहिम के लिये यह किसी परीक्षा से कम नहीं था जिसमें एक तरफ प्यारा बेटा था और दूसरी ओर अल्लाह का हुक्म था लेकिन अल्लाह का हुक्म मानते हुए इब्राहिम कुर्बानी के लिये तैयार हो गया..कहा जाता है कि जब हजरत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे तो छुरी के नीचे एक मेमना आ गया बाद में फरिश्तों के सरदार ने इब्राहिम को खुशखबरी दी की अल्लाह ने उनकी कुर्बानी कबूल कर दी है और कुर्बान हो गया तभी से कुर्बानी का दौर शुरु हुआ।  इससे देने और मदद की भवना भी होती है।