14,850 करोड़ रुपए की लागत से बने 296 किलोमीटर लंबे जिस एक्सप्रेसवे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई को लोकार्पण किया था।उसका हश्र देश के सामने है।यह एक्सप्रेसवे मात्र पाँच दिन की बारिश नही झेल पाया…
एक्सप्रेसवे के संदर्भ में कुछ जानकारी…
आपको बता दें कि दशकों से पिछड़े बुंदेलखंड को अब सीधे दिल्ली और लखनऊ से एक्सप्रेसवे के जरिये जोड़ दिया गया है।देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माने जाने वाले बुंदेलखंड को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए सीधे राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ दिया गया है।उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित फोर-लेन एक्सप्रेस-वे में भविष्य में छह लेन के विस्तार की भी गुंजाइश है। इसमें 13 इंटरचेंज पॉइंट हैं।
फरवरी 2020 में इस एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी गई थी।और इस परियोजना पर बहुत तेजी से कार्य किये गए।
इस एक्सप्रेसवे पर चार रेलवे ओवर ब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, छह टोल प्लाजा, सात रैंप प्लाजा, 293 लघु सेतु, 19 फ्लाईओवर और 224 अंडरपास का निर्माण किया गया है।इस एक्सप्रेसवे में 13 जगहों पर टोल और रैंप प्लाजा बनाएं गए हैं।बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे आगामी उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा परियोजना की सफलता के लिए भी महत्वपूर्ण बताया गया है।
कहीं कोई बड़ा भ्रष्टाचार तो नही हुआ..?
प्रधानमंत्री मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन 16 जुलाई को करते हुए कहा था कि.. यूपी में है चुनौतियों को चुनौती देने का माद्दा।अधिकारियों के अनुसार, परियोजना की कुल लागत करीब 15,000 करोड़ रुपए आंकी गई थी। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने ई-टेंडरिंग का विकल्प चुनकर करीब 1,132 करोड़ रुपए की बचत की है। लेकिन ये बचत सड़कों की निम्न गुणवत्ता के हाल पर की जाएगी। ये बड़ा प्रश्न चिन्ह एक सप्ताह के भीतर बारिश से सड़क बेहाल होने के बाद उठने लगे हैं।
कुलमिलाकर इतनी बड़ी परियोजना के तैयार होने के बाद मात्र एक सप्ताह से भी कम समय में इसके थोड़ी सी बारिश से टूट जाना अपने आप में सवाल खड़े करता हैं।अब देखना होगा कि चुनौतियों को चुनौती देने वाला राज्य संबंध में भ्रष्टाचारियों पर कोई बड़ा एक्शन लेता है।या फिर लीपापोती करके मामला यूँ ही दबा दिया जाएगा…?