ज्ञानवापी मस्जिद मामले में बड़ा फैसला…नही होगी शिवलिंग की वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग जाँच…
ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। वाराणसी जिला जज डॉ.ए.के. विश्वेश ने पिछले सप्ताह सुनवाई के बाद ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग जांच और पूरे परिसर की ASI से सर्वेक्षम की मांग पर फैसला 11 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था।
कार्बन डेटिंग वाली याचिका पर हिन्दू पक्षकारों में मतभेद…
आपको बता दें कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग वाली याचिका पर अदालत के आदेश से पहले ही हिंदू पक्ष दो फाड़ हो गए थे। वादी संख्या एक राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का कड़ा विरोध किया। राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह ‘विसेन’ ने कार्बन डेटिंग से हिंदुओं के भावनाओं को आहत करने का बड़ा आरोप लगाया है। उनका मानना है कि कार्बन डेटिंग से शिवलिंग खंडित हो जाएगा। जबकि वादी संख्या दो से पाँच ने जिसमें लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक का नाम है. उन्होंने कोर्ट में अर्जी लगाकर कार्बन डेटिंग की मांग की है।जिससे उक्त प्रसंग की सत्यता सामने आ सके।
क्या होती है वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग जाँच…
आपको बता दे कि कार्बन डेटिंग से वस्तु की उम्र का सही-सही अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे शिवलिंग की जांच होने पर उसकी उम्र का पता लग सकेगा। इससे यह भी पता चलेगा कि शिवलिंग का निर्माण कब करवाया गया होगा..? मुख्यतः कार्बन डेटिंग से इमारतों के बनने की तारीख व वर्ष का पता लगाया जाता है।
शिवलिंग को सुरक्षित रखना जरूरी.. जिला जज डॉ.ए.के. विश्वेश
वाराणसी जिला जज डॉ.ए.के. विश्वेश ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 को निर्देशिक किया था कि कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखा जाए। ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड नेनीटेटिंग रडार का प्रयोग करने पर कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है।