बार-बार चेतावनी के बाद भी मुख्य हैरिटेज बाजार से नही हट रहे थे अतिक्रमणकारी.. पुलिस,नगर पालिका व जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्यवाही कर निर्माण किये नेस्तिनाबूद…
आज झील नगरी नैनीताल में भी बुलडोजर की उपस्थिति दर्ज हो गई।दरअसल सरोवर नगरी व आसपास के क्षेत्रों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा पहाड़ी शैली में पुनरोद्धार का बीड़ा उठाया है। इसी क्रम में पिछले कुछ महीनों से राम सेवक सभा के आस-पास अनधिकृत रूप से लगाये गए फड़- खोखे वालों को उक्त स्थल को खाली करने के नोटिस जारी कर दिए गए थे। चार दिन पूर्व अधिशासी अधिकारी नगर पालिका नैनीताल द्वारा मुनादी करवा कर अंतिम नोटिस भी दे दिया गया। लेकिन उक्त स्थल पर आज तक अनधिकृत व्यावसायिक गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहीं।नगर पालिका अधिकारियों, पुलिस व जिला प्रशासन की मौजूदगी में आज इन अवैध अतिक्रमणों को नेस्तिनाबूद कर दिया गया।
नैनीताल की हैरिटेज मार्केट बड़ा बाजार में स्थित है यह रामसेवक सभा…
आपको बता दें कि रामसेवक सभा प्रांगण का कुमाउँनी शैली में सौंदर्यीकरण किया जाना है।यह स्थान नैनीताल के प्रमुख बड़ा बाजार क्षेत्र में ही स्थित है।जिससे यहाँ कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में फ़ुटपाथ पर बैठ कर अपना व्यवसाय करने की छूट मिली हुई थी।जिस पर नगर पालिका नैनीताल,जिला प्रशासन ने कभी ध्यान ही नही दिया।मतलब प्रशासन द्वारा अपनी मूक सहमति दे रखी थी।इसीलिए जमाने पहले फुटपाथ पर बैठ कर कुछ स्थानीय लोगों को अपना फड़ लगाने की अनुमति पालिका द्वारा दी गई थी।जिसे कुछ लोगों ने मूल कब्जेदारों से खरीद कर अपने व्यवसाय स्थापित कर लिए।व उक्त स्थल पर लकड़ी,टीन लगाकर शेड बना दिये।
अवैध कब्ज़ेदारों को बल पूर्वक हटाया गया..जे.सी.बी की मदद से ढहाया अवैध अतिक्रमण…
उपजिलाधिकारी नैनीताल राहुल शाह ने बताया कि जिन लोगों को स्थल से हटाया गया है उन्हें रज़ा क्लब में शिफ़्ट किया गया है।और जो कब्जेदार स्वयं नही हटे, उन्हें बल पूर्वक आज हटा दिया गया है।रही बात उन्हें पुनः फड़ आवंटन की तो सौंदर्यीकरण के बाद उन्हें फिर से स्थान आवंटन कर दिया जाएगा।लेकिन उक्त स्थल पर अब कोई भी अवैध अतिक्रमणकारी नही बैठेगा…
आखिर सरकारी भूमि पर किये जा रहे इन अवैध निर्माणों पर सरकारी विभागों के अधिकारी क्यों रहते हैं मौन…?
आमजन के बीच यह चर्चाएं आम रहीं कि जब वेंडिंग जोन विकसित किये जाने बाद भी कुछ लोग मुख्य बाजारों के भीतर प्रवेश कर अपने फड़ आदि लगाते हैं तब उन्हें निश्चित ही स्थानीय व्यापार मंडलों का समर्थन प्राप्त होता होगा किंतु जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन उस समय इन अवैध निर्माणों की ओर ध्यान क्यों नही देते हैं..? लंबे समय बाद जब कब्जेदार तो मृत हो चुके होते है।उनके परिवारजनों द्वारा खुले बाज़ार में उक्त स्थलों की बिक्री कर दी जाती है।जो कि कानूनन सदैव अवैध ही मानी जाती है। यहाँ भी मामला कुछ ऐसा ही रहा।हटाये गए सब्जी व्यवसायियों तथा ऑप्टिकल शॉप व इलेक्ट्रॉनिक शॉप चला रहे व्यवसायी इससे बहुत दुःखी व परेशान नज़र आये।