पहाड़ प्रेम के साथ हुआ कुमाऊं विवि दीक्षांत समारोह..नौकरी देने वाले बनें राज्य के युवा कृषि पर्यटन के क्षेत्र में संभावनाएं- राज्यपाल….युवाओं के पलायन कम करने के लिए सरकार ये कर रही है प्रयास- धन सिंह

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नैनीताल – परम्परा रिति-रिवाज धर्म और पहनावा सब कुछ आज एक साथ दिखा कुमाऊं विश्वविघालय में दिखा। मौका दीक्षांत समारोह का था जिसमें राज्यपाल से लेकर मुख्य अतिथियों ने छात्रों से समाज में योगदान देने की अपील की तो मेड़ल लेने वाले छात्रों में पहाड़ का प्रेम दिखाई दिया है।

पहाड़ की दिखी झलक छात्राओं ने मारी बाजी…..

वैदिक मंत्रों के साथ इस बार भी कुमाऊँ विश्वविघालय के 17वें दीक्षांत समारोह की शुरुआत हुई,पहाड़ी परिधानों के साथ सोभायात्रा से कार्यक्रम का आगाज हुआ, इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह और शिक्षा मंत्री धन सिंह के साथ कुलपति कुमाऊ विश्वविघाल एनके जोशी ने कार्यक्रम की दीप जलाकर शुरुआत की.. इस दौरान राज्यपाल और शिक्षा मंत्री ने होनहार छात्र छात्राओं को उनकी कामयाबी का पुरस्कार दिया गया। डीएसबी परिसर के सभागार में 58 हजार 640 छात्रों को डिग्रीयां दी गई तो 410 छात्रों को पीएचडी की उपाधि दी गई वहीं 115 छात्र छात्राओं को राज्यपाल द्वारा मेड़ल दिया गया और 5 छात्रों को नगद पुरस्कार दिया गया। दीक्षांत समारोह के दौरान वनस्पति विज्ञान के डाक्टर चन्द्रशेखर को डी लिट डाक्टर सूरज कुमार संस्कृत व डाक्टर विनय काण्डपाल को प्रबंधन विषय पर कुलपति उपाधि दी गई है। वहीं 2 साल बाद आयोजित दीक्षांत समारोह में छात्रों का खासा उत्साह दिखा..इस दौरान पीएचडी की उपाधि मिलने वाली छात्रा रक्षिता जोशी ने कहा कि पहाड़ के लिये जरुरी है कि यहां के लोगों के बीच काम किया जाए लेकिन सरकार को भी सोचना होगा कि कैसे सुविधाएं दें..वहीं प्रीति चंद ने कहा कि पलायन रोकने के लिये जरुरी है कि वो यहां कुछ अपने लोगों के बीच करें ताकि उत्तराखण्ड के लोग यहां के काम आ सकें।

ये रहा दीक्षांत समारोह में खास..

दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को लोगों के सामने रखा तो शोध खेल और 5 गावँ को गोद लेकर उनके विकास में योगदान की बात कही। वहीं राज्यपाल ने कहा कि ग्लोबल को लोकल से जोड़ा जाए और यही छात्र रोजगार के लिए बाहर जाने के बजाय राज्य में नौकरी देने वाले बनें। राज्यपाल ने भविष्य के इन कणधारों से कहा कि वो स्वरोजगार अपनाएं और शिक्षा का उपयोग समाज के अंतिम छोर वालों के लिये करने की अपील की है। वहीं राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि कुमाऊँ विश्वविघालय के इस दीक्षांत समारोह दौरान अधिकांश मेड़ल बेटियों को दिये गये जिससे लगता है कि उत्तराखण्ड की बेटियों का क्या स्थान है। राज्यपाल ने कहा कि उन्हौने कहा है कि वो नौकरी देने वाले बनें ना कि नौकरी करने वाले. राज्यपाल ने राज्य से बाहर रह रहे लोगों से भी अपील की है कि वो राज्य में लौटें और अपने गांव प्रदेश रोजगार पैदा करें ताकि यहां रोजगार के साथ नौकरी तैयार हो सकें। इस दौरान शिक्षा मंत्री धन सिंह ने कहा कि कुमाऊँ विश्वविघाय ने कई क्षेत्र में बेहतर किया है और नई शिक्षा नीति में पारम्परिक ज्ञान को लेकर आ रहे हैं राज्य में धर्म कर्मकांड़ के साथ वेद संस्कृति उत्तराखण्ड का इतिहास के के साथ कुमाऊनी गढवाली के साथ जसूली देवी की का सलेबस शामिल करेंगे साथ ही महापुरुषों के ज्ञान को पाठ्क्रम में शामिल करें। धन सिंह रावत ने कहा कि पहाड़ में बच्चों को रोकने के लिये रोजगार पाठ्यक्रम पढाने जा रहे हैं।