एक पहाड़ी ऐसा भी….दिल में पहाड़
बेकार को साकार बनाकर जीने की बनाई कला..
चारों तरफ हो रही है ज्योलिकोट के ललित की तारीफ..

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नैनीताल – हुनर अगर शौक में बदल जाये तो जिंदगी की गाड़ी कठिन रास्तों पर भी सरपट दौड़ने लगती है। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं ज्योलिकोट के ललित साह…पिछले 30 सालों से वो जंगलों में पड़ी बेकार लकड़ियों में जान फूंक रहे है जो आज उनके रोजगार का जरिया बन गया तो देश भर से आने वाले लोग भी उनके इस समान को अपने घर सजाने के लिए ले जा रहे हैं।



जंगल से लाकर बेकार पड़ी लकड़ियों में जान डालते हैं ललित….


दरअसल जिन बेकार जड़ों को लोग फेंक कर बर्बाद कर देते है ललित साह उन्हीं बेकार जड़ों को तराश कर उसको बहुमूल्य कलाकृतियों में बदल बेशकीमती बना देते है कला प्रेमी और हस्तशिल्प में दक्ष ललित की ये कलाकृतियाँ पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है और नैनीताल की यादगार के लिये खरीद कर ले जाते है। लगभग तीस से ज्यादा वर्षों से जडों को तराश कर उन्हें जीवंत बनाने वाले ललित कलाकृतियों को बनाने के लिये जंगलों,गधेरों,और आसपास से पुरानी जडों को एकत्र कर अपनी कल्पना शक्ति से मामूली कांट छांट के साथ नहीं आकृति के रूप में ढाल देते हैं ललित सा बताते हैं कि शो पीस बनाने में नदी नालों में बहकर आयी लेंटाना,बकौल,गेठी,कौल आदि की जड़ें बेहद कारगर और उपयोगी होती है,लेकिन इसके साथ अन्य जड़ें भी इस काम में कच्चा माल के तौर पर उपयोग में लायी जाती है,इसके साथ ही ललित बेकार,निष्प्रयोज्य वस्तुओं टायर,बेकार कंटेनर आदि को भी अपनी कलाकारी सेउपयोगी बना देते है। साल 2009 में जिला उद्योग केंद्र द्वारा उन्हें “ड्रिफ्ट वुड” कलात्मक वस्तुएं हेतु प्रथम पुरस्कार मिल चुका है जबकि देश के विभिन्न स्थानों सहित पुष्कर, सूरज कुंड के मेले में भी शिरकत कर चुके है।



पलायन रोकने के लिए खुद का काम जरूरी..

ललित साह का मानना है कि काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता और लोगों को पहाड़ में रोकने के लिए जरूरी है कि खुद का काम शुरू करें और रोजगार का जरिया बनाएं। ललित कहते हैं पर्यटन प्रदेश में रोजगार को बढ़ाने के लिये के लिए “ड्रिफ्ट वुड” एक बेहतरीन जरिया हो सकता है,उन्होंने बताया कि हालांकि अभी इस कला से काफी लोग अपनी रोजी रोटी चला रहे है लेकिन ये सिर्फ सीजनल रोजगार बना हुआ है। प्रदेश सरकार इसको प्रोत्साहन,बिक्री के लिए मुख्य पर्यटक स्थलों में बिक्री केंद्र,प्रशिक्षण निर्यात और आधुनिक मशीनों के लिये अनुदान के साथ नए मंच उपलब्ध कराए,तो रोजगार के साथ पलायन में रोक लगेगी।