विधानसभा में 2016 के बाद कि भर्ती निरस्त…..अब वन आरक्षी, दरोगा ,बीडीओ समेत अन्य को भी निरस्त करने की उठी मांग…ukSSSC में सीबीआई जांच क्यों नहीं सरकार…

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उत्तराखण्ड – राज्य की विधानसभा में नियुक्तिों पर स्पीकर ने बड़ा निर्णय लिया है। नियुक्तियों को लेकर गठित समिति की रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने बकायदा पत्रकार वार्ता कर इसकी जानकारी साझा की है। रितु खंड़ूरी ने कहा कि 2016 से लेकर अब तक की बैक डोर भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। आपको बतादें कि 2016 में 150 और 2020 में 6 और 2021 में 72 पदों पर भर्तियां हुई थी। आज विधानसभा में रितु खंडूरी ने कहा कि मैं युवाओं को निराश नहीं करुंगी और अनिमित्ताओं पर कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करुंगी। रितु खण्डूरी ने कहा कि रात में कल रिपोर्ट पूरी 29 पेज मिली है जिसमें साल 2016 से 2021 तक की भर्तियों को नियम विरुद्ध माना है। और 6 फरवरी 2003 के कार्मिक के आदेश का पालन नहीं किया गया स्पीकर ने कहा कि शासन को अनुमोदन को भेजी जा रही हैं साथ ही उपनल से की गई 22 नियुक्तियां भी रद्द की जाती हैं। विधानसभा द्वारा 2021 में सीधी भर्ती के लिए जो आवेदन मांगे था, 20 मार्च को इस वर्ष एग्जाम भी हुए थे। स्पीकर रितु ने कहा कि विधानसभा सचिव की भूमिका भी इसमें संदेह के घेरे में है सचिव की भूमिका की जांच की जाएगी सचिव मुकेश सिंघल जांच होने तक सस्पेंड किए जाते हैं। वहीं 2011 से पहले की नियुक्तियां रेगुलर कर दी है है उस पर लीगल ओपनियन लेने की बात स्पीकर ने की है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य के लिए तय किया जाएगा की गैरसैंण और देहरादून में विधानसभा संचालन के लिए कितने कर्मचारियों की जरूरत है। आपको बतादें कि प्रेम चंद्र अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल के दौरान हुई नियुक्तियों पर सवाल उठा था जिसके बाद राज्य में युवा आक्रोश में हैं। वहीं इन नियुक्तिों को रद्द करने के बाद कई बीजेपी नेताओं ने इसको बड़ा कदम बताया है।

अन्य भर्तियों पर भी है अब दबाव…….

दरअसल बैक ड़ोर की भर्तियों का मामला तब खुला जब राज्य में uksssc पेपर लीक का मामला उजागर हुआ जिसमें 8 से 12 लाख रुपये में पेपर बेचने का आरोप लगा तो कई इस मामले की एसआईटी जांच भी शुरु कर दी गई जिसके बाद 41 आरोपियों को अब तक एसआईटी ने पकड़ा है। हांलाकि सरकार अब भी इस मामले की सीबीआई जांच से बच रही है और कोर्ट में कह रही है कि ये सिर्फ राजनैतिक मामला है। हांलाकि इस मामले में आने वाले दिनों में सुनवाई होनी है। वहीं इस परीक्षा घोटाले के बाद राज्य के अन्य परीक्षाओं पर भी सवाल उठे हैं राज्य के युवा आन्दोलन पर हैं तो सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं वहीं वन आरक्षी के साथ वीडीओ वीपीडीओ और दरोगा भर्ती को भी निरस्त करने की मांग उठ रही है। वही यूकेड़ी विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डीके जोशी ने कहा है कि विधानसभा में भर्तियों को निरस्त करने के साथ मुकदमा दर्ज होना चाहिये और उन नेताओं पर कार्रवाई हो जिन्हौने नियुक्तियों को अपना विशेष अधिकार मानते हुए जनता को मुर्ख बनाया है।