कहीं आपका घर यहां तो नहीं…….नैनीताल में ग्रीन जोन और मकान में चल रहे होटलों की होगी जांच…रेनोवेट के नाम पर भी हुआ खेल तो जमीन माफियाओं ने बदल डाले नियम और जुगाड़ से बना दिये डेंजर जोन में मकान…

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नैनीताल – नैनीताल की जमीनों पर जिस कदर कब्जे हुए हैं वो बड़ी चिंता है तो अवैध रुप से पूरे शहर में निर्माण हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी व्यवसायिक निर्माण जमकर हुआ वहीं ग्रीन जोन और अनसेफ जोन शहर के उप्पर भार डाल दिया है। हांलाकि अब जांच के दायरे में हैं।

कमिश्नर कुमाऊँ ने दिये जांच के आदेश………

नैनीताल के इस अंधाधूंध निर्माण की जांच अब शुरु हो रही है…जी हां अब जल्द ही नैनीताल के हर घर और मकानों का भौतिक सत्यापन होगा..कमिश्नर कुमाऊँ ने इसके लिये बकायदा खुद अभियान छेड़ दिया है। ग्रीन जोन में अवैध मकान हों चाहे अनसेफ जोन में बने कंकरीट के जंगल में तब्दील निर्माण सभी की जांच होगी..खासकर उन मकानों पर भी प्रशासन को नजरें हैं जिन्हौने मकान को ठीक करने की अनुमति लेकर कई मंजिलों का निर्माण ठोक डाला है। अवैध मकान दुकान संस्थान सब जांच के दायरे में हैं। कमिश्नर कुमाऊँ दीपक रावत ने कहा कि नैनीताल में घरों की अनुमति के बाद कई व्यावसायिक निर्माण हुआ है और घरों को रेनोवेट करने की अनुमति ली लेकिन 5 मंजिला भवन और बना दिया ऐसे में इनकी जांच की जा रही है। कमिश्नर ने कहा कि गुप हाउस के लिये नक्शे पास किया होगा या फिर कुछ खेल इनमें हुआ है तो इसको चिन्हित किया जा रहा है साथ ही जो भवन सीज किया था वहां पर भी भवन बन गया है तो उनकी भी जांच हो रही है जिसके बाद कार्रवाई होगी।

अवैध निर्माण के लिये बदल जाते हैं नियम….कौन शामिल…..

दरअसल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल में व्यवसायिक निर्माण पर पूरी तरह से रोक है। बावजूद इसके शहर कंकरीट के जंगल में तब्दील होता रहा और ग्रीन और डेंजर जोन में घर की अनुमति लेकर होटल बनते रहे। नैनीताल में अधिकांश होटल और गेस्ट हाउस 1995 के बाद बने है जो अवैध रुप से संचालित हो रहे हैं। इन अवैध निर्माण को लेकर अधिकारियों और जमीन माफियाओं ने नियमों को ऐसा तोड़ मरोड़ा की ग्रुप हाउसिंग के निर्माण कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये इस अवैध निर्माण पर रोकने के लिये कमेटी का गठन आज तक नहीं हो सका तो अवैध निर्माण को रोकने के लिये जिला विकास प्राधिकरण भी कुछ नहीं कर सका जिसका फायदा जिसको जहा मिला वहीं मकान बिना अनुमति के ठोक डाला.. पर्यावरणविद् अजय रावत कहते हैं कि नैनीताल में अवैध निर्माण को खत्म करने के लिये जो कोर्ट के निर्देश से कमेटी बननी थी उसको अधिकारियों ने नहीं बनने दी क्योंकि अगर वो कमेटी बन जाती तो अधिकारी मनमानी नहीं कर सकते थे..अजय रावत कहते हैं कि ग्रुप हाउसिंग बनाने में भी अलग अलग नामों से नक्शे पास किये और ठेकेदार एक ही था। अजय रावत ने बताया कि 2006 में नैनीताल की भार वहन करने की छमता भी खत्म हो गई बावजूद इसके आज भी जमकर निर्माण हो रहा है..जिसमें सीआरएसटी स्कूल के पिछे,ट्राली के आस पास सूखाताल तल्लीताल के कुछ इलाकों में 7 नम्बर में खतरे वाले स्थानों पर भी मकान बना दिये गये हैं जो भविष्य के लिये बड़े खतरे हैं।