नैनीताल – मृतक आश्रित नौकरी में बेटी को अधिकारों के बाद अब हाईकोर्ट ने उन बेटियों को बड़ी राहत दी है जिनकों नौकरी नहीं मिल सकी है। हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने साफ कर दिया है कि 1974 से लेकर 2019 तक जो नौकरी के लिये आवेदन किसी भी कारणों से नहीं कर सके वो मार्च 2019 से मार्च 2023 तक आवेदन कर सकते हैं और नौकरी के हकदार हैं। लेकिन कोर्ट ने सर्त रखी है कि जिन मामलों का निस्तारण हो गया है उन पर ये आदेश लागू नहीं होगा।
बेटी को 2019 में मिला नौकरी का अधिकार
दरअसल मृतक आश्रित नियमावली 1974 में सरकारी नौकरी में कर्मचारी की मौत के बाद परिवार के लोगों की योग्यता के अनुसार क्लास 3 और 4 में दी जाती है जिसमें बेटे पत्नी को अधिकार तो दिया गया लेकिन शादीशुदा बेटी को इस लाभ से वंचित कर दिया गया था। 25 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने फैसला जारी कर कहा कि विवाहित बेटियों को नौकरी का हकदार माना और परिवार की परिभाषा में सम्मलित कर दिया गया। इसको आधार बनाकर 2013 में हल्द्वानी की नमृता शर्मा ने माँ की मौत के बाद नौकरी के लिये आवेदन किया लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने नियमों के तहत नौकरी का हकदार याचिकाकर्ता को नहीं माना…नम्रता शर्मा कोर्ट पहुंची तो कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित में बेटियों का हक नहीं है लेकिन 25 मार्च 2019 के एक आदेश के बाद नम्रता शर्मा फिर कोर्ट पहुंची कोर्ट ने 2019 के आधार पर प्रत्यावेदन निस्तारित करने को कहा, विभाग ने नम्रता के खिलाफ आल दिया आदेश तो मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचा तो जस्टिस शरद शर्मा की कोर्ट ने लार्जर बैंच को मामला रैफर करते हुए सवाल उठाए कि जब रूल 5 के तहत नौकरी के क्लेम के लिये 5 साल के दौरान आना है तो 5 साल का आधार क्या होगा और कहां से माना जायेगा..और दूसरे सवाल में कहा कि इस आदेश के बाद कैसे लाभ 2019 से पहले वालों को दिया जा सकता है या नहीं। लार्जर बैंच ने कहा की पूराने केस पर लागू होगा जो रूल्स के बाद और हाई आदेश से पहले आते हैं। दूसरा टाइम के लिय कोर्ट ने कहा कि जो मामले लंबित है उनको 2019 के बाद 5 साल का समय उनको दिया जा सकता है और जिन मामले मि कोर्ट फैसला कर चुका है उन पर ये लागू नहीं होगा। कोर्ट के इस आदेश के बाद 1974 से लेकर 25 मार्च 2019 तक के वो बेटियां नौकरी की हकदार हैं और 2019 से 5 सालों तक आवेदन कर सकती हैं।