नैनीताल – उत्तराखण्ड मूल की महिलाओं को फिलहाल सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने सरकार के 24 जुलाई 2006 के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत ये आरक्षण राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरी में मिलता था। ये फैसला हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बेंच ने पवित्रा चौहान समेत अन्य की याचिका पर दिया है जिन्हौने सरकार के 24 जुलाई 2006 के जीओ को चुनौती दी है। दरअसल सरकार ने विभिन्न विभागों में प्रारंभिक परीक्षा की है जिसका 26 मई 2022 को परीक्षा परिणाम आया है परीक्षा में 2 कट आँफ लिस्ट निकाली गई और उत्तराखण्ड मूल की महिलाओं को 79 है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसके अंक उत्तराखण्ड की महिला वाली लिष्ट से ज्यादा हैं और उसको मुख्य परीक्षा के लिये अयोग्य घोषित कर दिया है क्योकि 2001 और 2006 के जीओ के आधार पर उत्तराखण्ड की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जो सरकार ने आरक्षण दिया है वो असंवैधानिक है क्योकि संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत राज्य आरक्षण नहीं दे सकता है यह अधिकार केवर संसद को है राज्य केवल आर्थिक रुप से कमजोर व पिछले तबके को ही दे सकता है।
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