नैनीताल – आजादी के बाद से ही कार्बेट पार्क के आमड़ंड़ा खत्ते में मूलभूत सुविधाएं नहीं देने पर हाईकोर्ट ने भारत सरकार के सचिव वन एवं पर्यावरण को नोटिस जारी किया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस कोर्ट ने 22 जून तक सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है और पूछा है कि क्यों ये सुविधा नहीं दी जा रही है।
ना कांग्रेस ना बीजेपी कर सकी मुश्किलें दूर…अंधेरे में आज भी ग्रामीण…
दरअसल रामनगर की स्वेता मासीवाल ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि आजादी के बाद से ही आमड़ंड़ा खत्ते में बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तो बच्चों को शिक्षा के अधिकार व ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है। याचिका में मांग की गई है कि गांव में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार किया जाए और चिकित्सा सुविधा भी दें और ग्रामीणों को वनवासी अधिकार भी दिए जाए इस अधिकार के तहत जानवरों के चारे लकड़ी वन उपज की अनुमति मिल सकती है..हांलाकि इससे पहले कोर्ट ने जवाब मांगा तो बिजली विभाग ने कहा कि हमने सर्वे किया है जिसमें एक पेड़ का भी कटान नहीं होगा लेकिन 14 पेड़ों की लाँपिग की जा सकती है और वो बिजली के लिये तैयार हैं। निदेशक कार्बेट के तत्कालिन निदेशक ने कहा कि ये कार्बेट पार्क के बाहरी सीमा में आता है इस लिये यहां बिजली नहीं दी जा सकती है बल्कि केन्द्र सरकार की अनुमति जरुरी होती है। जबकी याचिकाकर्ता ने कहा था कि कानून के तहत वन अधिकार अधिनियम में जब प्रति हेक्टेयर 75 पेड़ से ज्यादा पेड़ काटे जाने की जरुरत हो तब ही इसमें केन्द्र सरकार की अनुमति की जरुरत होती है। अब दोनों विभागों की राय जुदा थी जिसके बाद अब कोर्ट ने केन्द्र सरकार के सचिव को नोटिस दिया है।
वहीं हाईकोर्ट में इस केस को लड़ रहे दुष्यंत मैनाली ने कहा कि सरकार की दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना जिसमें हर ग्रामीण घर को रोशन किया जाना है उसका भी लाभ इनको नहीं मिल सका जिसके चलते उनको कोर्ट आना पड़ा है उम्मीद है कि जल्द हर घर रोशन होगा….