नैनीताल – आपको याद होगा की उत्तराखण्ड में नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन शुरु हुआ था..लेकिन पहाड़ी राज्य में रोजगार तो युवाओं को मिला नहीं लेकिन नशा भरपुर सरकार से लेकर स्थानीय स्तर पर जरुर मिला..हालात ये रहे कि उत्तराखण्ड सरकार ने अपनी शराब को बेचने के लिये यहां हाईवे को जिला मार्ग में तक तब्दील कर दिया ताकि शराब की ब्रिक्री राज्य में आसानी से हो सके..राज्य के तमाम इलाकों में सरकार ने शराब के ठेके खोल दिये और इन ठेकों में शराब खुब बिक भी रही है लेकिन जो उत्तराखण्ड सरकार राज्य के तमाम हिस्सों में शराब बेचकर जमकर राजस्व कमा रही है उसके अधिकारी कर्मचारी राज्य में भांग की खेती नष्ट कर नशा मुक्ति का संदेश दे रहे हैं।
पहाड़ में पुलिस ने चलाया है अभियान…
दरअसल अल्मोड़ा की द्वाराहाट पुलिस ने भांग की खेती को नष्ट करने का अभियान चलाया है.जिसके तहत एसएसपी ने निर्देश पर गांव में नशा मक्ति अभियान को उनके थानेदार धरातल पर उतार भी रहे हैं। बकायदा थानाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बिष्ट के नेतृत्व में थाना द्वाराहाट पुलिस द्वारा भांग की खेती को नष्ट करने का अभियान चलाया गया,,वहीं थानाध्यक्ष अजेंद्र प्रसाद एवम् थाना सल्ट के कर्मचारी गण द्वारा थाना सल्ट में ग्राम डोटियाल , इकूखेत एवम सराएखेत क्षेत्रांतर्गत अभियान चलाकर खेतों में उपज रही भांग के पौधो को नष्ट किया गया। इस दौरान नशे की रोकथाम के उपाय बताये गये तथा क्षेत्र की जनता से अपील की गयी कि जहां कही भी क्षेत्र में भांग की खेती व जंगली भाग उगी हो उसे मिलकर नष्ट करे। ताकि क्षेत्र के नवयुवक चरस एवं गांजे के नशे से दूर रहे।
उधर पिथौरागढ में जिला प्रशासन ने तो बकायदा शराब की खुली दुकानों से बिक रहे नशे के बाद जिला प्रशासन और पिथौरागढ़ पुलिस द्वारा संयुक्त रुप से अभियान चलाकर बढावे रोड में ग्राम बिलाईं क्षेत्रान्तर्गत रूप से की जा रही भांग की खेती को किया गया नष्ट डीएम पिथौरागढ के नेतृत्व में जिला प्रशासन एवं कोतवाली पिथौरागढ़ पुलिस द्वारा संयुक्त रुप से अभियान चलाते हुए बढ़ावे रोड में ग्राम बिलाईं क्षेत्रान्तर्गत अवैध रूप से की जा रही भांग की खेती को नष्ट किया गया तथा आम जनमानस को नशे से होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए नशामुक्ति अभियान में पुलिस व प्रशासन का सहयोग करने की अपील की गई। इस दौरान एसएसपी के निर्देशन में जनपद पुलिस द्वारा आम जनमानस को लगातार नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरुक करते हुए नशे का कारोबार करने वालों के विरुद्ध आवश्यक वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन वाला राज्य रहा है उत्तराखण्ड…
दरअसल उत्तराखण्ड राज्य नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन का जनक रहा है अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया के पास बसभीड़ा गांव से 2 फरवरी 1984 को आन्दोलन की शुरुआत हुई..पहाड़ मे शराब के प्रचलन को कम करने के लिये यहां की महिलाओं के साथ पुरुष भी सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन शराब और नशे के खिलाफ शुरु कर दिया गया..हांलाकि वक्त के साथ रोजगार पहाड़ के लोगों को पहाड़ में मिला नहीं लेकिन नशा सरकारों ने पहाड़ में युवाओं को जमकर दिया है। जगह जगह शराब की दुकानें खोल दी गई जिसको सरकार ने राजस्व का जरिया भी बना दिया हांलाकि इस आन्दोलन से जुड़े लोग आज भी चिंता में हैं।
सिर्फ भांग पर कार्रवाई से क्या होगा….
आपको बतादें कि पुलिस पहाड़ में नशा खत्म करने के लिये खेतों में जाकर फोटो खींच रही हैं और नशे के विरुद्ध कदम उठाने की बात कर रह है कुमाऊँ मण्ड़ल के बकायदा कई स्थानों पर भांग के खेतों में जाकर भांग को नष्ट किया जा रहा है। हांलाकि इस अभियान पर सुनील कहते हैं कि सिर्फ भांग पर क्यों कार्रवाई जब शराब खुलेआम बिक रही हैं और नशा लोग कर रहे हैं तो भांग को नष्ट कर कैसे नशा मुक्ति का संदेश दिया जा सकता है क्योकि भांग सिर्फ नशा नहीं बल्कि भांग के दानों से लेकर लाठी तक पहाड़ में उपयोग में लाया जा सकता है और भांग के रेसे से रस्सी और कपडे तक तैयार किया जा सकता है भांग के दाने भी दवा से लेकर अन्य उपयोग में खासा महत्पूर्ण है लेकिन सरकार नशे का नाम देखर इसको नष्ट कर रही है अगर सरकारी अधिकारियों को नशा खत्म करना है तो उसके लिये शराब बंदी करें…….