पेट्रोलियम उत्पादों की तर्ज पर अब विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की कीमतों के आधार पर होंगी विद्युत दरें तय।
संसद के मानसून सत्र में विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के पारित न हो पाने के कारण केंद्र सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिये इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए कमर कस ली है।
आपको बता दें कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत वर्ष 2005 में पहली बार विनियम बनाये थे।अब मोदी सरकार ने इसमें संशोधन की तैयारी कर ली है।इसके लिए विद्युत संशोधन विनियम 2022 का मसौदा जारी कर दिया है।
ज्ञात रहे कि पिछले दिनों संसद के मानसून सत्र में विपक्ष ने इस विधेयक का भारी विरोध किया था।इसी विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के पारित न हो पाने के कारण केंद्र सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिये इसके प्रावधानों को लागू करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया है।
आखिर केंद्र सरकार क्यों लाना चाहती है विद्युत संशोधन विनियम 2022…
केंद्र सरकार विद्युत उत्पादन की लागत के आधार पर प्रतिमाह विद्युत मूल्यों का आंकलन करेगी।मतलब जिस प्रकार तेल मूल्यों का आंकलन नित्य के आधार पर होता है उसी प्रकार बिजली का मूल्यांकन प्रतिमाह किया जाएगा।
कहने का तात्पर्य यह हुआ कि विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला,गैस व तेल की कीमतों के आधार पर विद्युत दरें तय की जाएंगी।
कुलमिलाकर अब विद्युत बिलों को आमजन से अधिकाधिक वसूलने के मक़सद से विद्युत संशोधन विनियम 2022 लाने की दिशा में केंद्र सरकार अग्रसर है।जिसके लिए इसके उत्पादन में खर्च होने वाले ईंधन के हिसाब से प्रतिमाह इसका आंकलन किया जाएगा।और विद्युत मूल्यों को प्रतिमाह घोषित किया जाएगा।और उसी मूल्य के हिसाब से आमजन से वसूल भी किया जाएगा।केंद्र सरकार द्वारा इसका मसौदा तैयार किये जाने के बाद अगले वर्ष के प्रारंभ में इसे लागू किये जाने का मन बना लिया है।जबकि संसद के मानसून सत्र में केंद्र का तर्क था कि विद्युत वितरण के लिए निजी कंपनियों को भी लाइसेंस दिए जाएं जिससे उपभोक्ताओं को अच्छी सेवा प्रदाता कंपनी को चुनने का अवसर मिलेगा।
क्या..अब बिज़ली भी महँगी हो जाएगी…?
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में क्रूड ऑयल के मूल्यों में वर्ष 2014 के बाद भारी गिरावट जारी रही थी पर केंद्र की सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट बढ़ाकर तेल मूल्यों को बढ़ा दिया।जिसका कोई फायदा आमजन को नही मिला।सिर्फ चुनावीं राहत के नाम पर कुछ राहत अवश्य मिली थी।उसी प्रकार अगर विद्युत मूल्यों को भी प्रतिमाह बढ़ाया गया तो आमजन पर ज्यादा बोझ पड़ेगा।क्योंकि अगर सरकार की मंशा सही होती तो विद्युत संशोधन विनियम 2022 लाने की जरूरत ही नही पड़ती।जिससे अब जनता के मन में महंगी बिज़ली कीमतों को वसूले जाने का भय पैदा होने लगा है।