रवीन्द्र देवलियाल
नैनीताल- उप चुनाव के लिहाज से देखें तो चंपावत विधानसभा सीट भाजपा के लिये अधिक फायदेमंद रही है। उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद हुए पांच चुनावों में भाजपा यहां तीन बार अपना परचम फहरा चुकी है। सबसे अधिक मतों से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी भाजपा के नाम है।
9 नवम्बर, 2001 को राज्य के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश में सन् 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा ने सन् 2007, 2017 व सन् 2022 के चुनाव में जीत हासिल की। सबसे कम मतों से जीत हासिल करने और सबसे कम मतों से हारने का रिकार्ड भी भाजपा के नाम है।
सन् 2002 में पहले चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को मामूली मतों से शिकस्त दी। तब भाजपा के मदन सिंह महराना कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल से 395 मतों से चुनाव हार गये। इसके बाद 2007 के चुनाव में भाजपा ने मदन सिंह महराना की पत्नी बीना महराना को उम्मीदवार बनाया और बीना महराना ने कांग्रेस प्रत्याशी हेमेश खर्कवाल को 7000 से अधिक मतों से शिकस्त देकर अपने पति की हार का बदला ले लिया।
सन् 2012 में भाजपा को इस सीट पर बुरी स्थिति का सामना करना पड़ा। भाजपा यहां तीसरे नंबर पर खिसक गयी। तब कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच टक्कर रही। कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल ने विजय हासिल करते हुए बहुजन समाज पार्टी के मदन सिंह महर को लगभग 7000 हजार मतों से शिकस्त दी।
सन् 2017 में मोदी लहर में भाजपा के लिये यहां से अच्छी खबर आयी। तब भाजपा ने कांग्रेस को कड़ी शिकस्त दी। भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने कांग्रेस नेता हेमेश खर्कवाल को 17360 मतों के अंतर से हराया। इस सीट पर यह अभी तक की सबसे बड़ी जीत है।
इसी प्रकार भाजपा ने फिर पांच साल बाद सन् 2022 में इस सीट पर कांग्रेस को शिकस्त दी और एक बार फिर भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 5299 मतों से हरा दिया। कैलाश चंद्र गहतोड़ी को 31894 जबकि हेमेश खर्कवाल को 26595 मत हासिल हुए।
निवर्तमान विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिये सीट खाली कर दी। उप चुनाव के लिये भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व कांग्रेस की ओर से श्रीमती निर्मला गहतोड़ी चुनाव मैदान में हैं। श्री धामी के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार को कमजोर माना जा रहा है।
कुल मिला कर देखा जाये तो कांग्रेस के मुुकाबले भाजपा की राह यहां आसान लग रही है। राजनीतिक विश्लेषक भी मुख्यमंत्री के लिये उप चुनाव की राह बेहद आसान मान रहे हैं। देखना है कि क्या भाजपा यहां से तीसरी बार चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाती है या नहीं?