पतंजलि पर संकट के बादल.. “अदालत में पेश किए गए सबूत स्पष्ट रूप से उत्पाद की घटिया गुणवत्ता के बारे में बताते हैं।”-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट…
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पिछले दिनों बीमारियों के भ्रामक प्रचार मामले में सख्ती बरतने के बाद बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संजय सिंह की अदालत ने सोन पापड़ी के परीक्षण में फेल होने पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एक सहायक प्रबंधक सहित तीन लोगों को छह महीने की जेल की सजा व तीन लोगों पर जुर्माना भी लगाया है।अदालत ने अपना यह फैसला खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत सुनाया।पहले भी पतंजलि के शहद व अन्य उत्पादों को जाँच में फेल पाया गया था किंतु तब उनको अभयदान दे दिया गया था।
पहले केवल उक्त कंपनी के खराब गुणवत्ता युक्त उत्पादों की चर्चा होती थी..अब हो रही कार्यवाही..कहीं सरकार की नाराज़गी कारण तो नही…
आपको बता दें कि वर्ष 2019 अक्टूबर में एक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने पिथौरागढ़ के बेरीनाग के मुख्य बाजार में लीला धर पाठक की दुकान का दौरा किया था जहां पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के नमूने एकत्र किए गए थे और रामनगर कान्हा जी वितरक के साथ-साथ पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को भी संबंध में नोटिस जारी किए गए थे।
इसके बाद उत्तराखंड के ही रुद्रपुर जिला उधम सिंह नगर में राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में फोरेंसिक जांच हुई जिसमें दिसंबर 2020 में राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग को प्रयोगशाला से एक रिपोर्ट मिली जिसमें मिठाई की घटिया गुणवत्ता का संकेत दिया गया था। इसके बाद व्यवसायी लीला धर पाठक, वितरक अजय जोशी और पतंजलि के असिसटेंट मैनेजर अभिषेक कुमार के खिलाफ मामले दर्ज किए गए।अदालत ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के तहत तीनों को क्रमशः छह महीने की कैद और 5,000 रुपये, 10,000 रुपये और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।