उत्तराखंड में नगरनिगमों,नगरपालिकाओं में मची है संपत्ति की लूट..अब नैनीताल में नगरपालिका द्वारा आवंटित दुकानों पर केवल आवंटी ही करेंगे कारोबार..अन्यथा आवंटन होगा निरस्त…
उत्तराखंड में पिछली दो बार से भाजपा की डबल इंजन सरकार मौजूद है।हालांकि जहाँ देश का नेतृत्व न खाऊंगा न खाने दूंगा की बात कहता है और प्रदेश नेतृत्व भी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की बात करता है।आपको बता दें कि उत्तराखंड के भीतर सभी नगरनिगमों,नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों के भीतर कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है यह किसी से छुपा नही है।यहाँ हम बात कर रहे हैं नगरनिगमों,नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों की संपत्ति की जो खुली लूट चल रही है।दरअसल सभी शहरों व गाँवों के भीतर नगरनिगमों,नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों की संपत्ति जैसे दुकानें, भवन व लीज़ पर दी गई भूमि होती है।जो कि नगरनिगमों, नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों की आय का मुख्य स्रोत माने जाते हैं।इसमें खेल यह होता है कि जिस मूल व्यक्ति को इनका आवंटन किया जाता है वो फलतः उनके कब्जे में न होकर किसी अन्य को स्वामित्व हस्तांतरण कर करोड़ों में बेच दी जाती है।जबकि आवंटी को उसे बेचने का या अन्य व्यक्ति को रकम लेकर अमुक संपत्ति को उसका स्वामित्व सौपनें का कोई वैधानिक अधिकार नही होता। मान लीजिए मि0 एक्स को एक दुकान मैन मार्केट में नगरनिगम,नगरपालिका द्वारा दी गई ।जिसका वार्षिक किराया पालिका को एक हज़ार से दो हज़ार रुपया साल मिलता है।अब यहाँ अलॉटी की मृत्यु के उपरांत या किसी अन्य संपत्ति पर काबिज होने के चलते वह एक संपत्ति को मि0 वाय को दे देता है जिसके एवज़ में उसे करोड़ों का आर्थिक फ़ायदा तो होता ही है साथ ही मि0 वाय भी उस संपत्ति के वास्तविक मालिक नगरनिगम,नगरपालिका को चुप रहने के एवज़ में पालिका पदाधिकारीयों/कर्मियों को भी ऑब्लाइज कर देता है।जिससे स्वामित्व सिद्धि का मामला नही उठता है। इन परिस्थितियों में नगरनिगम, नगरपालिकाओं के हिस्से में केवल राजस्व की हानि के सिवा कुछ नही आता है।यह खेल प्रदेश में सर्वत्र खेला जा रहा है।जिससे नगरनिगमों,नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों की आय में कोई वृद्धि दर्ज नही हो पा रही है।जबकि होना यह चाहिए कि उक्त संपत्तियों पर मूल आवंटी काबिज़ न होने की दशा में नगरनिगमों, नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों को उनका स्वामित्व खारिज़ कर निविदा के माध्यम से खुली बोली लगाकर उक्त संपत्तियों को नए सिरे से जरूरतमंद लोगों को उनका स्वामित्व दिया जाना चाहिए जिससे नगरनिगमों, नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों की आय में जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है।लेकिन ज़ीरो टॉलरेन्स के नाम पर बड़ा आर्थिक खेल इन संस्थाओं के भीतर खुलेआम चल रहा है।मतलब नगरपालिका द्वारा आवंटित दुकानों पर केवल आवंटी को ही कारोबार करना चाहिए।अन्यथा आवंटन खारिज़ हो सकता है।
नगर पालिका द्वारा अलॉट दुकानों को सबलेटिंग कर अन्य को दिया जाना असंवैधानिक..15 दुकानदारों को जल्द होंगे नोटिस जारी…- राहुल आनंद (आई.ए.एस) अधिशासी अधिकारी नगरपालिका नैनीताल…
स्टार ख़बर के साथ प्रश्नोत्तर में नैनीताल नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी आई.ए.एस राहुल आनंद ने बताया कि पालिका की संपत्तियों को सबलेटिंग कर कुछ लोगों ने पालिका एक्ट का उलंघन किया है।जिस पर पालिका प्रशासन जल्द ही सख्त कार्यवाही करने जा रहा है।जिसके तहत पहले चरण में 15 आवंटियों को नोटिस दिया जा रहा है।तत्पश्चात आवंटियों द्वारा सबलेटिंग की गई संपत्तियों की लीज़ निरस्त किये जाने की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। यहाँ यह जानना अतिआवश्यक है कि आवंटियों को नगरपालिका को एक से दो हज़ार रुपया वार्षिक अदा किया जाता है जबकि सबलेटिंग करके आवंटी लाखों रुपया वार्षिक कमा लेता है।जिस पर वर्तमान पालिका प्रशासन बहुत सख्ती कर केवल अलॉटी के परिवारजनों को ही इन दुकानों पर क़ाबिज़ होने देगा।अन्य सभी सबलेटिंग करने वालों के आवंटन खारिज़ किये जायेंगे।