हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सर्वोच्च अदालत का बड़ाआदेश.. प्रभावितों के लिए एक माह में बनाएं पुनर्वास योजना…

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हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सर्वोच्च अदालत ने दिया बड़ाआदेश.. प्रभावितों के लिए जल्द बनाएं पुनर्वास योजना…

हल्द्वानी का बनभूलपुरा क्षेत्र विगत वर्षों में देश के नक्शे में अपना विशेष स्थान व पहचान बनाने के लिए जाना जाता है।आपको बता दें कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के 7 किलोमीटर के इर्दगिर्द के क्षेत्र में सरकारी भूमि,रेलवे भूमि,वन भूमि व नुजूल भूमि जो कि नगर निगम की संपत्ति है पर अवैध अतिक्रमण कर भारी बसावट की गई है।जिस पर पूर्व में उच्च न्यायालय नैनीताल ने सख्ती बरतते हुए एक सप्ताह में उक्त स्थल को खाली किये जाने के आदेश जारी कर दिए थे।जिस पर यहाँ 4,365 घरों पर लगभग पचास हज़ार से अधिक की आबादी पर संकट के बादल मंडराने लगे थे।और जद में आ रहे निवासियों व उनके संरक्षक नेताओं ने सर्वोच्च अदालत का रुख किया था।जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 5जनवरी 2023 को स्टे लगा दिया था।पिछली सुनवाई की तारीख में रेलवे के अधिकारी संबंध में जबाब दाखिल नहीं कर पाए थे लिहाजा आज 24 जुलाई को न्यायायिक पीठ में शामिल न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने रेलवे को ओरिजिनल कागजो के साथ संतोषजनक जबाब दाखिल करने को कहा था।रेल अधकारियों ने दाखिल जवाब में बताया कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के विस्तार के लिए अतिक्रमित भूमि की आवश्यकता है।बिना इस भूमि के हल्द्वानी रेलवे स्टेशन को विकसित नहीं किया जा सकता। रेलवे ने प्रतिउत्तर में अदालत को यह भी बताया कि उसके स्वामित्व वाली लगभग 30.04 हेक्टेयर भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया गया है।

उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद काशिफ़ जाफ़री ने देश की सर्वोच्च अदालत के निर्देशों पर जताई खुशी..वाज़िब लोगों को उनका हक़ मिलना ही चाहिए…

सर्वोच्च अदालत में आज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल मुयान और जस्टिस दीपांकर दत्ता की अदालत में मामले की सुनवाई हुई।कोर्ट ने संबंध में केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिए कि उन परिवारों की पहचान करें जिनके प्रभावित होने की संभावना है।तथा प्रस्तावित स्थल जहाँ ऐसे प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जा सके।मतलब पुनर्वास की ऐसी योजना लायी जाए जो उचित, न्यायसंगत और सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।इसके लिए अदालत ने राज्य के मुख्य सचिवों को रेलवे अधिकारियों और केंद्रीय मंत्रालय के साथ बैठक बुलाने का निर्देश भी दिया है।कोर्ट ने सरकार से कहा कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के बारे में एक माह में कोर्ट को अवगत कराएं।
नैनीताल उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद काशिफ़ जाफ़री ने देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा केंद्र व राज्य सरकार को संबंध में निर्देश दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त कर, बातचीत में स्टार ख़बर को बताया कि इस क्षेत्र में जो अवैध अतिक्रमण कारी नही हैं जिनका वाज़िब हक इस भूमि पर बनता है उनका पुनर्वास निश्चित ही किया जाना चाहिए।मामले में अगली सुनवाई 11 सितंबर को निश्चित की गई है।प्रभावित लोगो की तरफ से अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, उत्तराखंड सरकार की ओर से अभिषेक अत्रे, रेलवे की ओर से ऐश्वर्य भाटी, कार्तिक जयशंकर, पीबी सुरेश ने मामले की पैरवी की।